इसमें ऋषि महात्माओं को तर्पण के माध्यम से पानी पिलाने की परंपरा का निर्वहन होगा. वहीं 17 से 30 सितंबर तक पितृ तर्पण चलेगा. इसमें लोग अपने पूर्वजों को तर्पण के माध्यम से पानी पिलाते हैं. मान्यता है कि तर्पण से पूरे एक साल तक उन्हें जल की प्राप्ति होती है.
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कुशी अमावस्या संपन्न: शिवगंगा में हुआ तर्पण
देवघर : कुशी अमावस्या तिथि के साथ तर्पण कर्म प्रारंभ हाे गया. अहले सुबह सैकड़ों की संख्या में लोग कुश तोड़ने निकले. इसके उपरांत अपने-अपने कुल पुरोहितों की मदद से शिवगंगा में तर्पण किया. मान्यता है की कुश का काम श्राद्ध कर्म से लेकर देव कर्म में होता है. इसके बाद 14 सितंबर से 16 […]
देवघर : कुशी अमावस्या तिथि के साथ तर्पण कर्म प्रारंभ हाे गया. अहले सुबह सैकड़ों की संख्या में लोग कुश तोड़ने निकले. इसके उपरांत अपने-अपने कुल पुरोहितों की मदद से शिवगंगा में तर्पण किया. मान्यता है की कुश का काम श्राद्ध कर्म से लेकर देव कर्म में होता है. इसके बाद 14 सितंबर से 16 सितंबर तक ऋषि तर्पण चलेगा.
कुश उखाड़ने घर से निकले लोग: कुशी अमावस्या पर लोगों ने कुश तोड़ा तथा उसके जड़ों को हटा कर जल से धोकर कर पवित्र स्थल पर रखा. यह कुश पूरे एक साल तक धार्मिक कार्यों में लगाया जायेगा. कुश तोड़ने के लिए लोग अहले सुबह से ही मोहनपुर के रिखिया, चितकाठ, नया चितकाठ, मलाहरा, कजिया आदि जगहों में गये. कई लोग लंबी कुश लाने के लिए बटिया जंगल तक चले गये.
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