बिहार में शराब बंदी का साइड इफैक्ट
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बाबा की भक्ति व शराब की मस्ती
बिहार में शराब बंदी का साइड इफैक्ट देवघर : बिहार में शराब बंदी का असर झारखंड के श्रावणी मेले में दिख रहा है. जो भक्त बाबा की भक्ति में लीन होकर 105 किमी पैदल चलकर कांवर ला रहे हैं. यदि वे बिहार के रहने वाले हैं और शराब के शौकीन हैं तो झारखंड में प्रवेश […]
देवघर : बिहार में शराब बंदी का असर झारखंड के श्रावणी मेले में दिख रहा है. जो भक्त बाबा की भक्ति में लीन होकर 105 किमी पैदल चलकर कांवर ला रहे हैं. यदि वे बिहार के रहने वाले हैं और शराब के शौकीन हैं तो झारखंड में प्रवेश करते ही उन्हें शराब की याद सताने लगती है. उन्हें लगता है कि एक दिन के ही सही, झारखंड में शराब को मुंह से लगा लेते हैं. बिहार जाने के बाद तो फिर इससे महरूम रहना पड़ेगा. यही कारण है कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलार्पण करने के बाद यदि वे देवघर से ही घर को लौट रहे होते हैं तो पहले शराब की दुकान से शराब खरीद लेते हैं.
यदि देवघर से बासुकिनाथधाम जाते हैं तो वहां से जलार्पण करके लौटने के दौरान घोरमारा में पेड़ा खरीदने रूकते हैं. वहां प्रसाद के रूप में घोरमारा का पेड़ा खरीदने के बाद पास की दुकान से न सिर्फ शराब खरीदते हैं बल्कि वहीं पी भी लेते हैं. यह बिहार की शराब बंदी का साइड इफैक्ट ही है कि देवघर के दर्दमारा, टावर चौक, जसीडीह, बरमसिया, झौंसागढ़ी, घोरमारा, मोहनपुर और बासुकिनाथ की शराब दुकानों में गेरुआ वस्त्रधारी की भीड़ लगी मिलती है.
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