देवघर : शहरी क्षेत्र में जलस्तर को बढ़ाने के लिए वर्षा जल का संचयन के उद्देश्य से निगम के अधीन 17 तालाबों का जीर्णोद्धार का टेंडर प्रक्रिया भी सवाल उठने लगा है. 25 मई को फाइनल किये गये टेंडर में नियमों की भी जमकर अनदेखी हुई है. इस टेंडर को प्राप्त करने के लिए नगर निगम के संवेदकों को मौका दिया गया था.
लेकिन नगर निगम के अधिकांश संवेदकों का निबंधन नवीकरण की तिथि समाप्त हो चुकी थी. संवेदकों को चार अप्रैल 2016 तक लाइसेंस का निबंधन नवीकरण कर लेना था. इसके लिए संवेदकों को बैंक में राशि जमाकर चालान नगर निगम में जमा करना था. लेकिन 25 मई तक अधिकांश संवेदकों को निबंधन नवीकरण का शुल्क जमा किये बगैर ही उन्हें टेंडर में भाग लेने दिया गया व तालाब का कार्य बांट दिया गया. 25 मई काे टेंडर फाइनल होने के बाद अधिकांश संवेदकों ने 26 मई को निबंधन नवीकरण शुल्क का चालान जमा किया. नियमों की अवहेलना के अपने कई निहितार्थ बताये जा रहे हैं . इतना ही नहीं टेंडर में जमकर गड़बड़झाला व लॉबिंग भी खूब चला. टेंडर मैनेज के भी आरोप लगे . इसमें नेताओं अपने – अपने वर्चस्व का एक्सरसाइज चहेतों को काम दिलाने में जमकर किया.
बारिश का फायदा उठाकर भुगतान की तैयारी
वित्तीय वर्ष 2015-16 में ही नगर निगम से कुल छह तालाब का टेंडर फाइनल हुआ था. राज्यादेश के अनुसार 15 जून से पहले इन तालाबों का कार्य पूर्ण कर लेने को लेकर आनन-फानन में काम कर राशि भुगतान की तैयारी चल रही है. इस आनन-फानन में काम भी गड़बड़ी चल रहा है. प्राक्कलन को नजर अंदाज करते हुए बारिश का फायदा उठाने के लिए राशि निकासी की तैयारी चल रही है. चित्तोलोढ़िया के पुराने तालाब में वर्तमान में प्राक्कलन के अनुसार तालाब की खुदाई संदेह के घेरे में है. मुश्किल से चार फीट गहराई व जैसे-तैसे लंबी-चौड़ी खुदाई कर अब बारिश का इंतजार किया जा रहा है . जाहिर तौर पर इसका फायदा राशि की बंदरबांट को आसान करेगा . यही स्थिति कुष्ठाश्रम के समीप निर्माणाधीन निगम की तालाब का है. जबकि मुख्य सचिव ने साफ-साफ निर्देश दे रखा है कि किसी भी डोभा या तालाब का काम 15 जून के बाद नहीं करना है .