इसी बीच वर्ष 14-15 का काम किया कुछ भुगतान आया. इस संबंध में पूछने पर नीलेश ने आनाकानी किया. बैंक से पूछने पर जानकारी हुई कि 4,31,000 रुपया आया है, किंतु बैंक की निकासी ऑथोरिटी से हटा कर उनके नाम का इस्तीफा पत्र भी संलग्न कर दिया गया है.
उनकी जगह पर पत्नी को संस्था खाता संचालन में हस्ताक्षरित ऑथोरिटी बना लिया गया है. इस संबंध में उन्होंने कोर्ट नोटिस देकर भी सतर्क किया था. बावजूद मैनेजर की मिलीभगत से आरोपितों ने संस्था के बैंक खाते से धोखाधड़ी कर राशि गबन कर ली है. इस संबंध में नगर थाना कांड संख्या 202/16 भादवि की धारा 419, 420, 120बी के तहत प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस पड़ताल में जुटी है.