देवघर/सारठ : मिनिस्ट्री ऑफ कम्यूनिकेशन की ओर से नेशनल इ-गवर्नेस प्रोग्राम के तहत खोले गये प्रज्ञा केंद्र अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण देवघर जिले में करोड़ों खर्च करने के बावजूद प्रज्ञा केंद्र का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
जानकारी के अनुसार, संताल परगना जोन में जूम डेवलपर द्वारा कार्य नहीं करने के कारण उसका इकरारनामा रद्द कर दिया गया. दुबारा टेंडर कराने के बाद भी कोई प्राइवेट कंपनी सामने नहीं आयी, तो जैप आइटी ने छह माह पूर्व सीएससी एसपीवी के राजीव ठाकुर को भेजा.
इ-गवर्नेस के तहत सुविधा आम नागरिकों को मिले, इसके लिए जिला प्रशासन ने प्रज्ञा केन्द्र को सबल बनाने के लिए 13 वें वित्त आयोग की निधि से जिले के 194 पंचायतों के लिए पंचायतवार प्रज्ञा केंद्र को 1.27 लाख की लागत से कंप्यूटर, इंटरनेट, प्रिंटर व अन्य उपस्कर उपलब्ध कराया.
वहीं संताल परगना में खासकर देवघर जिले में 194 पंचायतों में से 170 पंचायतों में प्रज्ञा केंद्र क्रियाशील हो गया. जिसके तहत जिले में मई से नवंबर तक 41,827 प्रमाण पत्र ऑनलाइन बना. इधर, नया टेंडर होने के बाद सरकार द्वारा बेसिक्स कंपनी को प्रज्ञा केंद्र संचालन का दायित्व सौंपा है.
नयी कंपनी अभी आयी ही है कि जैप आइटी ने 30 नवंबर को सीएससी एसपीवी के को-ऑर्डिनेटर राजीव ठाकुर को संताल परगना जोन से वापस बुला लिया है. एकाएक मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण आइटी सपोर्ट नहीं मिलने के कारण प्रज्ञा केंद्र बंदी के कगार पर हैं. बताया गया कि सिर्फ देवघर जिले में जिला प्रशासन ने 2 करोड़ 42 लाख 50 हजार खर्च किया है.
नहीं मिल रहा आइटी सपोर्ट : वीएलक्ष्
सारठ प्रज्ञा केंद्र संचालक वीएलक्ष् के प्रखंड अध्यक्ष विनय कुमार राय ने कहा कि प्रज्ञा केंद्र को वर्तमान में आइटी सपोर्ट नहीं मिल रहा है. इस कारण सारठ प्रखंड के 27 में से मात्र सात केंद्र से ही प्रमाण पत्र निर्गत हो रहा है. प्रशासन को प्रज्ञा केंद्र की बेहतरी के लिए पहल करनी चाहिए.