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देवताओं का घर है मानव शरीर: व्यासानंद

देवघर : मनुष्य का शरीर देवताओं का घर है. इसमें साक्षात शिव वास करते हैं. उक्त बातें स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने कहीं. महाराज जी देवघर कॉलेज परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संतमत सत्संग के 12वें वार्षिक महाधिवेशन में प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने ‘देहं शिवालयं प्रोक्त, शिवे देहे प्रतिष्ठिते’ श्लोक का अर्थ स्पष्ट […]

देवघर : मनुष्य का शरीर देवताओं का घर है. इसमें साक्षात शिव वास करते हैं. उक्त बातें स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने कहीं. महाराज जी देवघर कॉलेज परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संतमत सत्संग के 12वें वार्षिक महाधिवेशन में प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने ‘देहं शिवालयं प्रोक्त, शिवे देहे प्रतिष्ठिते’ श्लोक का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि देवघर स्थूल स्थान है, जहां आज हम सब विराजमान हैं. परंतु सूक्ष्म देवघर तो मनुष्य का शरीर ही है.

उन्होंने कहा कि शिव के बेर व लिंग दो रूप हैं. बेर रूप में भगवान शिव मृगछाल, भस्मीभूत, मुंडमाल, जटाधारी, त्रिशूलधारी आदि रूपों में पूज्य हैं. जबकि लिंग रूप में भगवान शिव द्वादश दिव्य लिंग के रूप में पूजनीय व दर्शनीय हैं.
मनुष्य अपने जीवनकाल में स्थूल द्वादश लिंग का दर्शन कर सकता है. लेकिन सूक्ष्मत रूप का दर्शन संतमत साधना के द्वारा ही प्राप्त हो सकता है. शिवलिंग के दिव्य ज्ञान के विषय में कहा कि अंतर साधना के क्रम में प्रथम दिव्य प्रकाश बिंदु, दूसरा प्रज्वलित ज्योति, तीसरा पंच तत्वों के रंग, चौथा सूर्य प्रकाश, पांचवां चंद्र प्रकाश आदि सप्त लिंग हैं. स्थूल, सूक्ष्म, कारण, महाकारण, कैवल्य पांच तरह के दिव्य नाद हैं. यह शरीर के केंद्र से नि:सृत हैं. शेष पांच लिंग हैं.
साधक अपने देवघर में द्वादश लिंग का दर्शन व श्रवण कर उद्देश्य की पूर्ति कर परमात्मामय होने का सौभाग्य प्राप्त करता है.
अनुयायियों से भरा देवघर
आयोजन स्थल का परिसर शनिवार को भक्तों से भरा रहा. प्रचवन, प्रार्थना व स्तुति से भक्ति के कार्यक्रम दिन भर चलते रहे. इसमें देश-विदेश से भक्त आये हुए हैं.

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