जब तक कोई प्राधिकार क्रियाशील नहीं हो जाता, तभी तक प्रबंधन बोर्ड काम करेगा. अब मेला प्राधिकार क्रियाशील हो है. इसलिए प्रशासनिक जानकार भी प्रबंधन बोर्ड के अस्तित्व पर अटकलें लगाने लगे हैं. इसे लेकर आम लोगों के अलावा प्रशासन भी उहापोह की स्थिति में है, क्योंकि अगले कुछ माह में श्रावणी मेला की भी तैयारी करनी है. अधिकारी अब मेला प्राधिकार के साथ काम करें या प्रबंधन बोर्ड के साथ, इस पर असमंजस बनी हुई है.
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असमंजस: डीसी ने पर्यटन विभाग के सचिव से मांगी अनुमति, क्या प्राधिकार गठन के बाद प्रबंधन बोर्ड की होगी बैठक ?
देवघर: श्रावणी मेला में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बैद्यनाथधाम व बासुकीनाथ को मिलाकर मेला प्राधिकार का गठन कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में अब मंदिर प्रबंधन बोर्ड के औचित्य पर ही सवाल उठने लगा है. लोगों में चर्चा है कि श्रद्धालुओं के हित व मंदिर विकास के लिए […]
देवघर: श्रावणी मेला में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बैद्यनाथधाम व बासुकीनाथ को मिलाकर मेला प्राधिकार का गठन कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में अब मंदिर प्रबंधन बोर्ड के औचित्य पर ही सवाल उठने लगा है. लोगों में चर्चा है कि श्रद्धालुओं के हित व मंदिर विकास के लिए जब सरकार ने मेला प्राधिकार बना दिया तो प्रबंधन बोर्ड की भूमिका की क्या जरुरत है. चूंकि हाइकोर्ट से प्रबंधन बोर्ड का गठन ही तत्कालिक तौर पर किया गया था.
इस बीच उपायुक्त कार्यालय से मंदिर प्रबंधन बोर्ड के सचिव सह डीसी अरवा राजकमल ने पर्यटन विभाग के सचिव को जनवरी माह में पत्र भेजकर इससे संबंधित अनुमति मांगी है. डीसी द्वारा भेजे गये पत्र के अनुसार पर्यटन सचिव से यह अनुमति मांगी गयी है कि मेला प्राधिकार के गठन के पश्चात मंदिर प्रबंधन बोर्ड की बैठक होगी या नहीं. हालांकि पर्यटन विभाग से डीसी को मार्गदर्शन या आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. डीसी द्वारा पत्र जनवरी में ही भेजा गया था व उसके बाद प्रबंधन बोर्ड की एक बैठक भी हुई थी. मालूम हो कि मेला प्राधिकार के अध्यक्ष मुख्यमंत्री व उपाध्यक्ष पर्यटन मंत्री है.
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