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मूल खतियान से छेड़छाड़ पर पैनी नजर

देवघर: सीबीआइ अपनी जांच में यह पता लगायेगी कि कौन-कौन कर्मी दस्तावेज को निकालने व रखने के लिए अधिकृत थे. दस्तावेजों में मूल खतियान, म्यूटेशन फाइल, लगान रसीद व मिसलेनियस फाइलों में हुई छेड़छाड़ सीबीआइ ने जांच के दायरे में लायी है. इसमें सर्वाधिक छेड़छाड़ मूल खतियान में हुआ है, जिसमें जमीन के मालिक का […]

देवघर: सीबीआइ अपनी जांच में यह पता लगायेगी कि कौन-कौन कर्मी दस्तावेज को निकालने व रखने के लिए अधिकृत थे. दस्तावेजों में मूल खतियान, म्यूटेशन फाइल, लगान रसीद व मिसलेनियस फाइलों में हुई छेड़छाड़ सीबीआइ ने जांच के दायरे में लायी है. इसमें सर्वाधिक छेड़छाड़ मूल खतियान में हुआ है, जिसमें जमीन के मालिक का नाम व प्लॉट नंबर तक बदला गया है. इसका खुलासा तो शुरुआती जांच में ही तत्कालीन डीसी मस्तराम मीणा ने कर दिया था. मालूम हो कि देवघर भूमि घोटाला में सीबीआइ ने दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें 826 एकड़ का भूमि घोटाला व दूसरा अभिलेखागार चोरी कांड का मामला है. हालांकि इन दोनों मामलों में सीबीआइ की ओर से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

बन रही है सूची
हाइकोर्ट के अल्टीमेटम के बाद सीबीआइ वैसे तमाम अधिकारियों, कर्मचारियों व जमीन कारोबारियों की सूची तैयार कर रही है जिसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से घोटाले की जमीन से संबंध है. जब से एनओसी लागू हुआ, तब से लेकर घोटाले के प्रकाश में आने तक के अफसरों के नाम भी सूचीबद्ध कर रही है. जिनके हस्ताक्षर या हैंड राइटिंग जमीन संबंधी दस्तावेजों में मिले हैं.

सुबूतों की तलाश में सीबीआइ
अधिकारी, कर्मचारी व भू-माफिया गंठजोड़ से हुए जमीन घोटाले की सुबूत सीबीआइ तलाश रही है. तीन स्तर से सीबीआइ इस केस में तहकीकात कर रही है. एक तो अफसरों ने क्या गलती की. कर्मचारियों ने क्या गलत किया और किन भू-माफियाओं ने मिलीभगत से जमीन के फरजी दस्तावेज तैयार करवाये. इन सभी बिंदुओं को साबित करने के लिए सीबीआइ सुबूत को खोज में जुटी है.

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