कॉमर्सियल वाहन वाले प्राइवेट नंबर प्लेट की आड़ में लगा रहे चूना
अब तक पांच फीसदी वाहन ही कॉमर्सियल रूप से हैं रजिस्टर्ड
देवघर : बाबानगरी की सड़कों पर दौड़ने वाली अधिकांश गाड़ियां परिवहन नियमों (एमवीआइ रूल) की खुलेआम खिल्ली उड़ा रहे हैं. यही वजह है कि निजी वाहन व कमर्शियल वाहन के बीच अंतर समझ में नहीं आता. धंधेबाज इसका जम कर फायदा उठा रहे हैं.
परिवहन विभाग के मुताबिक प्राइवेट वाहन मालिक अपने वाहन का वन टाइम टैक्स अदा करते हैं. उन्हें किसी तरह की परमिट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. निजी वाहनों का नंबर प्लेट सफेद रंग की प्लेट पर काले रंग से लिखा होता है. जबकि कमर्शियल वाहन, पहली बार नये सिरे से विभाग में रजिस्टर्ड होते हैं. उन्हें पहली दफा दो वर्ष के लिए टैक्स जमा करना पड़ता है.
उसके बाद तीसरे वर्ष से उन वाहनों को प्रत्येक तीन माह के बाद टैक्स जमा करना पड़ता है. इन्हें परिचालन के लिए दुमका स्थित आयुक्त कार्यालय से आदेश भी लेना पड़ता है. साथ ही प्रत्येक वर्ष उन वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट विभाग को सौंपना पड़ता है.
कमर्शियल वाहनों के नंबर पीले रंग के प्लेट पर काले रंग से अंकित करना हैं. किसी तरह की दुर्घटना होने पर कमर्शियल वाहनों में सवार यात्रियों को दुर्घटना बीमा का भी लाभ मिलता है जबकि प्राइवेट वाहनों में ये लाभ सिर्फ चालक को ही जाता है. देवघर में सालों भर लाखों श्रद्धालु व पर्यटक आते हैं, भारी संख्या में कमर्शियल वाहनों की भरमार है. इसमें से 95 फीसदी वाहन प्राइवेट वाहन के तौर पर रजिस्टर्ड बताये जा रहे हैं.
कैसे हो रही है अनदेखी
शहर में प्राइवेट वाहनों का धड़ल्ले से कमर्शियल इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे वाहन भाड़े पर चल रहे हैं. मदरसा चौक, टावर चौक व आसपास के इलाके में दर्जनों की संख्या में निजी वाहन खड़े नजर आ जायेंगे. बाहर से आने वाले यात्री इन स्थलों से अपने लिए गाड़ी बुक करा कर अपने गंतव्य के लिए निकल पड़ते हैं.
इससे जिला परिवहन विभाग को प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान होता है. बावजूद इसके विभाग की ओर से कभी कोई पहल नहीं हुई. न ही कोई अभियान चला . प्रतिदिन यहां से श्रद्धालु गण किराये पर वाहन लेकर देवघर व आसपास के पर्यटक स्थलों के अलावा बासुकिनाथ धाम व तारा पीठ की सैर करते हैं.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
हाल के दिनों में पुलिस के सहयोग से अभियान चलाया गया था. उसके बाद तकरीबन एक दर्जन वाहनों को कमर्शियल वाहन के रूप में कन्वर्ट कराया गया है. फिलहाल तीन से चार वाहन प्रत्येक माह कमर्शियल वाहन के रूप में रजिस्टर्ड हो रहे हैं.
-पंकज कुमार, डीटीओ, देवघर