पालोजोरी : क्या आपको यकीन होगा कि पुलिस में कार्यरत कोई कर्मचारी साढ़े तीन साल से लापता हो और पुलिस विभाग इस पर संज्ञान तक न लें. लेकिन ऐसा हुआ है. हवलदार के पद पर कार्यरत पालोजोरी का एक बेटा मई 2012 से गायब है, लेकिन बिहार पुलिस को इसकी कोई चिंता नहीं. उसने जांच, […]
पालोजोरी : क्या आपको यकीन होगा कि पुलिस में कार्यरत कोई कर्मचारी साढ़े तीन साल से लापता हो और पुलिस विभाग इस पर संज्ञान तक न लें. लेकिन ऐसा हुआ है. हवलदार के पद पर कार्यरत पालोजोरी का एक बेटा मई 2012 से गायब है, लेकिन बिहार पुलिस को इसकी कोई चिंता नहीं. उसने जांच, पड़ताल, खोजबीन तो दूर अब तक अपनी ओर से कोई प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करायी है.
विस्मय, रहस्य से भरा यह मामला तब प्रकाश में आया, जब गुमशुदा हवालदार निर्मल हांसदा की पत्नी निर्मला हेंब्रम ने मंगलवार को पालोजोरी थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. दर्ज प्राथमिकी में निर्मला ने कहा है कि उसके पति निर्मल हांसदा बिहार के बगहा जिला पुलिस बल के मदरहवां पुलिस चौकी में हवलदार के पद पर कार्यरत थे. मई 2012 में वे दस दिनों के अवकाश पर घर आये थे. अवकाश अवधि पूरी होने के बाद वे वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए 17 मई 2012 को घर से निकले थे. हांसदा के पुत्र राजकिशोर हांसदा ने उन्हें अपनी बाईक से जामताड़ा स्टेशन पहुंचाया था.
हांसदा जामताड़ा से ट्रेन पकड़ने वाले थे. 17 मई को शाम करीब सात बजे मोबाइल फोन से उन्होंने पत्नी निर्मला से आखिरी बार बात की थी. तब उन्होंने किऊल जंक्शन पहुंचने की सूचना दी थी. इसके बाद उनसे कभी कोई संपर्क नहीं हो सका. लगभग आठ दिनों के बाद मदरहवां पुलिस चौकी से फोन द्वारा यह जानकारी दी गयी कि निर्मल हांसदा अबतक पुलिस चौकी में योगदान नहीं दिया है. इसके बाद उनका कुछ पता नहीं चल सका. परिवार इस उम्मीद बैठा रहा कि बिहार पुलिस की ओर से उन्हें सूचना दी जायेगी. लेकिन दिन, महीने,साल गुजरते गये, लेकिन न तो हांसदा लौटे न ही बिहार पुलिस ने कोई सूचना दी.
इस घटना ने कई सवाल खड़ा कर दिये हैं. आखिर इतने समय तक बिहार पुलिस ने अपने हवलदार की कोई खोज-खबर क्यों नहीं ली. हांसदा के परिवार, परिजन व दोस्त आदि इतने समय तक खामोश कैसे रहे. बहरहाल, इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है.