देवघर: हर दृष्टिकोण से संतालपरगना काफी पिछड़ा है. लड़कियों के बाल विवाह के मामले में झारखंड का संतालपरगना प्रमंडल सबसे आगे है. देवघर में 20 से 24 वर्ष की 72 % से अधिक लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी गयी. वहीं 21 % लड़कों की शादी 21 वर्ष से पहले कर दी गयी. यह समाज के लिए घातक है. उक्त बातें यूनिसेफ के झारखंड चीफ जॉब जकारिया ने कही.
वे गुरुवार को होटल रिलेक्स के सभागार में यूनिसेफ व प्रभात खबर की मीडिया कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. श्री जकारिया ने कहा कि देवघर के अलावा गोड्डा में 65.6%, दुमका में 61.5%, पाकुड़ में 57.6%, साहेबगंज में 51.8% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है. उन्होंने बाल विवाह के दुष्परिणाम पर विस्तृत से चर्चा की. उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी होने से मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और कुपोषण, एचआइवी की समस्या होती है. लड़कियां पढ़ नहीं पाती हैं.
14 एरिया में काम हो तो विकसित होगा झारखंड
उन्होंने कहा कि झारखंड में संसाधन की दृष्टिकोण से संपन्न राज्य है. लेकिन हर दृष्टिकोण से पिछड़ा राज्य है. सामाजिक परिवर्तन के लिए बड़े बदलाव की जरूरत है. हमें उन कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करना होगा. उन्होंने 14 एरिया का जिक्र किया, उन क्षेत्रों में इंप्रूवमेंट हो तो यह सबसे विकसित राज्य बनेगा. श्री जकारिया ने ऐसे आंकड़े पेश किये, जो झारखंड के लिए अलार्मिग है. जैसे झारखंड में 15 से 19 वर्ष की 15 % लड़कियां ही स्कूल जाती हैं. विश्व में खून की कमी सबसे अधिक झारखंड में है. 70 % लड़कियां एनीमिक हैं. 45% बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है. झारखंड में 60 % से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव घर में होता है. शौच के मामले में झारखंड अतिपिछड़ा राज्य है. अभी भी यहां के 93% लोग खुले में शौच करते हैं. देवघर में यह आंकड़ा 94 % है. इस तरह इन सभी मुद्दों पर जागरूकता फैलाकर, दुष्परिणाम बताकर हम समाज में परिवर्तन ला सकते हैं.