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आवासीय स्कूलों में स्वीमिंग के नाम पर मौत का पुल !

देवघर: देवघर के आवासीय विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक दक्षता के लिए स्वीमिंग पुल की सुविधा के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करता है. लेकिन, बच्चों के लिए ये स्वीमिंग पुल कभी भी मौत का पुल बन सकता है. ज्यादातर विद्यालयों में स्वीमिंग का प्रशिक्षण देने के लिए कुशल प्रशिक्षक नहीं है. […]

देवघर: देवघर के आवासीय विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक दक्षता के लिए स्वीमिंग पुल की सुविधा के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करता है. लेकिन, बच्चों के लिए ये स्वीमिंग पुल कभी भी मौत का पुल बन सकता है. ज्यादातर विद्यालयों में स्वीमिंग का प्रशिक्षण देने के लिए कुशल प्रशिक्षक नहीं है. न ही स्वीमिंग पुल का समुचित मेंटनेंश ही किया जाता है.

स्वीमिंग पुल के पानी की स्वच्छता, बच्चों की हाइट के हिसाब से उसमें पानी की उपलब्धता, ट्रेनर की मौजूदगी में स्वीमिंग के प्रशिक्षण देने जैसे कई मसले हैं जिनका जवाब देने में स्कूल प्रबंधन का पसीना छूटने लगता है. दुर्घटना होने के बाद ही स्कूल प्रबंधन की तंद्रा भंग होती है.

इसका ताजा उदाहरण आरकेवीवीएम जसीडीह स्कूल में बीते दिनों देखने को मिला. कुशल इनसान बनने की ललक लिये बिहार के एक गार्जियन ने अपने बच्चे का दाखिला आरकेवीवीएम स्कूल में कराया था. लेकिन, स्वीमिंग के दौरान पुल में डूबने से बच्चे की मौत हो गयी. मासूम की मौत के बाद स्कूलों में चलाये जा रहे स्वीमिंग पुल के रख-रखाव से लेकर स्वीमिंग का गुर सीखाने वाले ट्रेनर की दक्षता एवं खानापूर्ति का घिनौना चेहरा सामने आया है.

जानकारों की माने तो स्कूल प्रबंधन सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर हमेशा खानापूर्ति करता है. कुशल व अनुभवी ट्रेनर बहाल करने से लेकर स्वीमिंग पुल मेंटनेंश के नाम पर महज औपचारिकता ही निभायी जाती है.

प्ले स्कूलों में भी है स्वीमिंग पुल की सुविधा
शहर के करीब आधा दर्जन प्ले स्कूलों में स्वीमिंग पुल की सुविधा उपलब्ध है. यहां भी स्वीमिंग के नाम पर बच्चों के गार्जियन से मोटा शुल्क वसूल किया जाता है.लेकिन, सुविधा के नाम पर यहां भी महज औपचारिकता ही निभायी जाती है. स्वीमिंग के लिए न तो कोई कुशल प्रशिक्षक हैं न ही बच्चों के शेफ्टी के लिए मुकम्मल इंतजाम है. बच्चे की सुरक्षा भगवान भरोसे है.
पदाधिकारी भी नहीं करते हस्तक्षेप
निजी आवासीय विद्यालय प्रबंधन बच्चों को अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर बड़े बड़े दावे करते हैं. बच्चों के दाखिले के नाम पर गार्जियन से मोटी रकम भी वसूल किया जाता है. लेकिन, जमीनी सच्चाई ठीक उल्टा है. स्कूल प्रबंधन की घोषणा एवं दावों से हट कर ही सुविधाएं बच्चों को स्कूल में उपलब्ध हो रही हैं. शायद इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को भी है. लेकिन, स्वीमिंग सहित अन्य सुविधाओं की स्थिति स्कूलों में क्या है. इसकी जांच भी शिक्षा विभाग के पदाधिकारी नहीं करते हैं.

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