देवघर: राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत जिले के एक लाख से अधिक (1,00823) किसानों ने अपने खेतों में लगे फसलों का बीमा कराया था. मगर जब लाभ मिलने की बारी आयी तो जिले के मात्र तीन प्रखंडों देवीपुर, सारवां व सारठ के किसानों को बीमा योजना के तहत राशि मिलने की सूचना मिली है. जबकि शेष सात प्रखंडों के तकरीबन 56 हजार किसान बीमा योजना के लाभ से वंचित रह जायेंगे. इस बात की सूचना से किसानों में काफी आक्रोश है. किसान अपनी समस्या को लेकर संसद से सड़क तक की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. किसानों ने सहकारिता विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विभागीय मनमानी नहीं चलने देने की बात कही है.
अब तक विभाग को नहीं मिला है राज्यांश
तीन प्रखंडो के 44 हजार 114 किसानों को बीमा राशि का लाभ मिलना है. इस बाबत केंद्र सरकार व बीमा कंपनी ने अपने हिस्से की राशि सहकारिता विभाग को भेज दी है. मगर अब तक विभाग को राज्यांश (राज्य से दिया जाने वाला 10 फीसदी हिस्सा) न मिलने के कारण किसानों के बीच बीमा राशि का वितरण नहीं किया जा सका है. विभागीय सूत्रों की मानें तो राज्यांश की राशि 10-15 दिनों के अंदर विभागीय कार्यालय को मिल जायेगी.
जमा थी प्रीमियम राशि
जिले के 10 प्रखंडो के एक लाख से अधिक किसानों ने अपने खेतों में लगे फसल के लिए प्रति एकड़ 164 की दर से 54 करोड़ 95 लाख 70 हजार 372 रुपये प्रीमियम की राशि जमा की थी. यह राशि जिले के 67,119 हेक्टेयर भूमि के लिए जमा किया गया था. मगर सहकारिता विभाग ने बीमा नियमों का हवाला देते हुए प्रखंड को यूनिट मानते हुए सात प्रखंडों ( देवघर,मोहनपुर, सोनारायठाढ़ी, करौं, मधुपुर, पालोजोरी, मारगोमुंडा) के किसानों को बीमा लाभ से वंचित करार दिया है. अब समस्या यह खड़ी हो गयी है कि यदि कोई किसान अपने 10 एक ड़भूमि के लिए बुरे वक्त पर 1640 रुपये प्रीमियम राशि के रूप में खर्च कर दिया है. तो कम से कम ज्यादा पाने की अपेक्षा रखता है. यदि अपनी राशि भी न मिले तो आक्रोश स्वाभाविक है.