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प्रवचन::::: महान प्रवक्ता लाओ त्से आदरणीय थे

ताओ मत का महान प्रवक्ता लाओ त्से जिसका जन्म ई. पू. 604 के आसपास हुआ था. इसके विषय में अनेक विचित्र तथा काल्पनिक किंवदंतियां विख्यात हैं. परंतु लोग उसे बड़े आदर की दृष्टि से देखते थे. वह माता के गर्भ में 82 वर्ष तक रहा. जन्म के समय वह बड़ा विद्वान तथा वृद्ध था. उसके […]

ताओ मत का महान प्रवक्ता लाओ त्से जिसका जन्म ई. पू. 604 के आसपास हुआ था. इसके विषय में अनेक विचित्र तथा काल्पनिक किंवदंतियां विख्यात हैं. परंतु लोग उसे बड़े आदर की दृष्टि से देखते थे. वह माता के गर्भ में 82 वर्ष तक रहा. जन्म के समय वह बड़ा विद्वान तथा वृद्ध था. उसके बाल सफेद थे. लाओ त्से ‘ताओ-ते-चिंग’ ग्रंथ का लेखक था. साहित्यिक तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो अब तक लिखित अन्य ग्रंथों की अपेक्षा यह बड़ा सुंदर तथा अर्थपूर्ण ग्रंथ कहा जा सकता है. इसमें आकर्षण तथा विद्वता पग-पग पर भरी पड़ी है. लाओ त्से की शिक्षा थी कि समूची सृष्टि के पीछे कार्यशील सिद्धांत ताओ है जो समस्त नाम-रूप तथा परिवर्तनों का मूल स्त्रोत है. अंत में सभी कुछ इसमें विलीन भी हो जाता है. सृष्टि की लीला तथा जीवन इसी एक मात्र सिद्धांत पर आधारित रहते हैं.

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