रिखियापीठ: आप कुछ हासिल करने के लिए दुनिया को ठग सकते हैं, लेकिन खुद को आप नहीं ठग सकते हैं. आप जो भी कर रहे हैं, उसे कोई देख रहा है. आपके सारे कार्यो का हिसाब-किताब परमात्मा के पास रखा जा रहा है. उक्त बातें रिखियापीठ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह में काशी की विख्यात कथाकार भक्ति किरण ने कही.
सुश्री किरण ने एक कथा के माध्यम से लोगों को नेकी व सच्चाई का मार्ग बताया. कथा प्रसंग द्वारा उन्होंने बताया कि एक किसान अपने पुत्र को रोज चोरी व गलत नहीं करने का पाठ पढ़ाते थे, पिता हमेशा कहते थे कि तुम जो कर रहे हो, उसे कोई देख रहा है. पिता के बार-बार कहने पर पुत्र के मन यह बातें बैठ गयी. एक बार उस किसान के बार क्षेत्र में अकाल आ गया, लोगों को भूखे रहना पड़ने लगा. उक्त किसान ने सोचा कि क्यों नहीं बच्चों को कुछ खिला दिया जाये, आखिर बच्चे कितनी देर भूखे रह सकते हैं.
किसान अपने उस बेटे को साथ लेकर दूसरे की एक खेत में लगे फसल काटने चला गया. पिता अपने बेटे को खेत की मेढ़ पर खड़ा कर सिखाया कि ‘बेटा अगर कोई आये तो मुझे आवाज देना. किसान खेत में फसल काटने उतरा व जैसे ही गेहूं के फसल को काटने के लिए कटारी लगायी, बेटे ने आवाज दी ‘पिताजी कोई देख रहा है..इधर-उधर देखने के बाद कोई नहीं मिलने पर पिता ने फिर कटारी फसल की ओर बढ़ायी तो बेटे ने फिर आवाज दी ‘ पिताजी कोई देख रहा है..बेटे की आवाज सुन पिता दौड़ते हुए खेत की मेड़ पर आ गया व इधर-उधर देखते हुए बोल कि बेटा यहां तक कोई नहीं है, फिर कौन देख रहा है. इस पर पुत्र ने जवाब दिया ‘पिताजी आप ही ने कहा था तुम जो कर रहे हो उसे कोई देख रहा है. इसलिए आप जो यह गलत कार्य कर रहे हैं, उसे भी कोई देख रहा होगा. इसका अर्थ है कि अगर भगवान ने जीवन में सुख दिया है तो वह उनके ध्यान में है. अगर दुख भी देंगे तो वह भी उनके ध्यान में होगा और जरूर कोई भलाई के लिए ही दुख दे रहे होंगे.