एड्स कंट्रोल सोसाइटी के सहायक निदेशक पहुंचे देवघर, कहा
देवघर : एड्स कंट्रोल सोसाइटी, झारखंड के सहायक निदेशक डॉ मंसूर अली शुक्रवार को देवघर पहुंचे. यहां उन्होंने सदर अस्पताल के आइसीटीसी सेंटर के अलावा एसआइटी/ आरटीइ सेंटर का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि देवघर में प्रत्येक माह औसतन तीन पॉजिटीव मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचते हैं.
यहां इंफ्रास्ट्रर का अभाव है, इसे विकसित करने की आवश्यकता है. साथ ही काफी दिनों से काउंसेलर का पद रिक्त है, उसे भरने की आवश्यकता है. बिहार के सीमावर्ती जिलों के मरीज इलाज के लिए देवघर पहुंचते हैं. उनके नाम व पते आइसीटीसी सेंटर में दर्ज हैं.
इस बाबत बिहार राज्य कंट्रोल सोसाइटी के वरीय पदाधिकारियों से संपर्क कर मरीज के विषय में जानकारी दी गयी है, ताकि उनका प्रोपर इलाज हो सके .संताल परगना प्रमंडल में एक ही एआरटी सेंटर देवघर में है. शेष पांच जिलों में लिंक सेंटर है. मौके पर सिविल सजर्न डॉ दिवाकर कामत, एसआइटी कर्मचारी अंजन दूबे व अन्य कर्मी उपस्थित थे.
सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज
सहायक निदेशक ने कहा कि एचआइवी पॉजिटीव मरीजों का सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज होता है. उन्हें सरकारी स्तर पर उत्तम क्वालिटी की दवाइयां दी जाती है, जो बाजार में उपलब्ध नहीं हो सकता. हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि प्राइवेट क्लिनिक व लैब में जिन मरीजों को जांच में पॉजिटीव पाया गया. सरकारी संस्थान में उनकी जांच होने पर वह केस निगेटिव निकल रहा है. ऐसे तीन उदाहरण मौजूद हैं.
हालांकि सरकारी अस्पतालों में जांच की गुणवता के स्तर को परखने के लिए त्रिस्तरीय (सदर के लैब से हुई जांच को स्टेट रेफरल लैबोरट्री में जांच. उस जांच को पुणो स्थित एपेक्स सेंटर में जांच) जांच में क्रास वेरीफिकेशन कराया जाता है. यह सिलसिला प्रत्येक तीन माह के दौरान होता है.
उसके बाद मरीजों को इलाज के साथ आवश्यक दवाई मुहैया करायी जाती है. देवघर व संताल परगना के अन्य जिलों की अपेक्षा रांची, जमशेदपुर, पलामू, हजारीबाग जिले के लोग समस्या के निदान के लिए ज्यादा जागरूक हैं.
राज्य भर में 10 हजार से ज्यादा एचआइवी पॉजिटीव मरीज मौजूद हैं. गिरिडीह में एचआइवी पॉजिटीव मरीजों की संख्या को देखते हुए एआरटी सेंटर खोला गया है.