फिर भी पाणिनीय व्याकरण की उपयोगिता आज उतनी ही है. जितनी प्राचीनकाल में थी. वाक्य निर्माण प्रक्रिया में कारक की अवधारणाओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि आधुनिक भाषाओं की प्रवृत्तियों में पाणिनीय व्याकरण आधारशील के रूप में समग्र भाषाओं के निर्माण में विशेष भूमिका का वहन करता है.
अध्यक्षीय भाषण में प्रभारी प्राचार्य डॉ केशव कुमार राय ने संस्कृत भाषा के पठन-पाठन पर बल देते हुए आधुनिक समाज में संस्कृत की उपयोगिता का वर्णन किया. इससे पूर्व कार्यक्रम वैदिक मंगलाचरण एवं सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम का संचालन व्याख्यानमाला के संयोजक डॉ गणोश राज जोशी ने किया. इस मौके पर अध्यापक विष्णुकांत झा, डॉ गंगाधर झा, डॉ अभयचंद्र झा, ज्ञानेश्वर शर्मा, डॉ राकेश कुमार पांडेय, सतीश शर्मा, विक्रम पंडित, दीपक कुमार ओझा आदि थे.