वह अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि व्यक्ति तथा समाज की बुराइयां तथा कष्ट तब तक दूर नहीं हो सकते जब तक आध्यात्मिक उपलब्धियों के धनी महात्मा प्रशासन की बागडोर नहीं संभालते अथवा वर्तमान प्रशासक ध्यान के विज्ञान तथा दार्शनिक ज्ञान-प्राप्ति का मार्ग नहीं अपनाते. प्लेटो ने ई पू चौथी शताब्दी में एथेंस अकादमी की स्थापना की. यह अकादमी ध्यान के अभ्यास तथा दार्शनिक सिद्धांतों का प्रशिक्षण प्रदान करती थी. इसे आश्चर्यजनक संयोग ही कहा जायेगा कि एथेंस में प्लेटो की अकादमी वही कार्य कर रही थी जो भारत के बिहार राज्य का नालंदा बौद्ध विश्वविद्यालय कर रहा था. उस समय नालंदा विश्वविद्यालय में भी समूचे एशिया तथा पूर्वी यूरोपीय देशों के साधकों को ध्यान तथा ज्ञानयोग का अभ्यास सिखलाया जाता था. एथेंस की अकादमी आज के पाश्चात्य विश्वविद्यालयों की तरह ही कार्यशील है, जिसमें आज भी ज्ञान पिंड मौजूद है परंतु अनेक संचालकगण ध्यान की पद्धतियां तथा उच्च चेतना के जागरण की तकनीकें भुला बैठे हैं जो यूनान के प्रारंभिक दार्शनिकों की विशेषता थी.
प्रवचन:::: ज्ञान प्राप्ति के मार्ग अपनाने से कष्ट दूर होते हैं
वह अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि व्यक्ति तथा समाज की बुराइयां तथा कष्ट तब तक दूर नहीं हो सकते जब तक आध्यात्मिक उपलब्धियों के धनी महात्मा प्रशासन की बागडोर नहीं संभालते अथवा वर्तमान प्रशासक ध्यान के विज्ञान तथा दार्शनिक ज्ञान-प्राप्ति का मार्ग नहीं अपनाते. प्लेटो ने ई पू चौथी शताब्दी में एथेंस अकादमी […]
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