देवघरः बिना सोचे-समङो टाइम स्लॉट बैंड सिस्टम पर रोक लगाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है. क्योंकि नयी व्यवस्था को हाइकोर्ट द्वारा गठित बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने लागू किया था. ऐसे में यदि सिस्टम में खामियां थी तो बोर्ड की बैठक बुलाकर इसे बंद किया जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री ने सीधे हस्तक्षेप करके हाइकोर्ट की अवमानना की है.
उक्त बातें गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने देवघर में प्रेस कांफ्रेंस में कही. श्री दुबे ने कहा कि बाबा मंदिर में सरकार का एक भी पैसा खर्च नहीं होता है. यह मंदिर और इसकी व्यवस्था भक्तों के दान के पैसे से चलता है. इसलिए सरकार का मंदिर पर सीधा हस्तक्षेप नहीं है. प्रबंधन बोर्ड कोर्ट से गाइड होता है. ऐसे में डीसी और बोर्ड के अध्यक्ष ने कैसे टाइम स्लॉट बैंड को बंद कर दिया. कोर्ट के अवमानना के ये भी दोषी हैं.
बोर्ड नाकाम है तो हाइकोर्ट इसे भंग कर दे
सांसद ने कहा कि मंदिर की व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बाबा मंदिर प्रबंधन बोर्ड का गठन हाइकोर्ट ने किया है. इसलिए मंदिर की सभी तरह की व्यवस्था श्रद्धालुओं को कैसे सुलभ दर्शन, जलार्पण करवाया जाये, इसका अधिकार भी बोर्ड को ही है. इसमें बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. यदि हाइकोर्ट की नजर में बोर्ड नाकाम है तो इसे भंग कर देना चाहिए.
टाइम स्लॉट व अरघा सबके हित में
सांसद ने कहा कि टाइम स्लॉट बैंड व अरघा सभी के हित में है. क्योंकि जो समय निर्धारित होगा. उसके अनुरूप श्रद्धालु अपने पुरोहित के यहां जायेंगे, मार्केटिंग करेंगे.
कोई केजुअल्टी नहीं होगी. इससे अर्थव्यवस्था में बदलाव होगा. नयी व्यवस्था समय की मांग है. इस व्यवस्था को सुनियोजित ढंग से लागू करवाने के लिए उन्होंने हाइकोर्ट में इंटरभेनर पीटीशन दाखिल किया है. कोर्ट में मेरे वकील सारी वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे.
हर निर्णय में पंडा धर्मरक्षिणी शामिल
श्री दुबे ने कहा कि टाइम स्लॉट और अरघा सिस्टम पर दो साल से विचार चल रहा था. पंडा धर्मरक्षिणी सभा के तत्कालीन अध्यक्ष विनोद दत्त द्वारी और महामंत्री दुर्लभ मिश्र से हर निर्णय में राय ली गयी थी. जो भी तय हुआ धर्मरक्षिणी से मिलकर तय हुआ. तो अब विरोध क्यों? नये अध्यक्ष, महामंत्री को शायद पूरी बात नहीं पता है. लेकिन सबों को विश्वास में लेकर ही नया सिस्टम लागू हुआ था.
कृष्णा बम का विरोध अनुचित
सांसद ने कहा कि पिछली सोमवारी को कृष्णा बम का निकास द्वार से प्रवेश कराने का विरोध हुआ. यह अनुचित हुआ है. आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ. क्योंकि दुर्लभ मिश्र की नजर में वीवीआइपी एमपी-एमएलए व मंत्री होंगे लेकिन मेरी नजर में वीवीआइपी पंडा समाज है, तमाम श्रद्धालु हैं. वैसे श्रद्धालु वीआइपी हैं जो 10-20 वर्षो से बाबा मंदिर आ रहे हैं.