कुछ योजनाओं पर काम शीघ्र ही शुरू होनेवाला है. ऐसे में पर्यटन विभाग की ओर से सेवानिवृत्त पदाधिकारी पीएन पांडेय को देवघर में जिला पर्यटन पदाधिकारी बना दिया गया है. सेवानिवृत्त पदाधिकारी पर देवघर जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थल के पर्यटन क्षेत्र का विकास का दायित्व दे दिया गया है. इससे जिले में पर्यटन विकास का कई कार्य बाधित हो रहा है. कई जगह पर्यटन सुविधा होने के बावजूद नियमित मॉनिटरिंग नहीं होने से पर्यटक सुविधा से वंचित हो रहे हैं.
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प्रभारी के भरोसे देवघर का पर्यटन
देवघर: धार्मिक नगरी देवघर में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. इसको लेकर केंद्र व राज्य सरकार भी गंभीर है. यहां अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डा, क्यू कॉम्प्लेक्स, लाइट एंड साउंड सिस्टम, त्रिकुट में पर्यटन कॉम्प्लेक्स समेत कई योजनाओं पर काम शुरू होने जा रहा है. कई काम पूरा भी हो चुका है. कुछ योजनाओं पर काम […]
देवघर: धार्मिक नगरी देवघर में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. इसको लेकर केंद्र व राज्य सरकार भी गंभीर है. यहां अंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डा, क्यू कॉम्प्लेक्स, लाइट एंड साउंड सिस्टम, त्रिकुट में पर्यटन कॉम्प्लेक्स समेत कई योजनाओं पर काम शुरू होने जा रहा है. कई काम पूरा भी हो चुका है.
जिले को चाहिए तेज-तर्रार ऑफिसर
देवघर जैसे पर्यटन क्षेत्र के जिले में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए तेज-तर्रार ऑफिसर की जरूरत है. ताकि विकास की रूप-रेखा तैयार कर समय-सीमा के अंदर अमलीजामा पहनाया जा सके. योजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग किया जा सके. इसी लापरवाही का नतीजा है कि तपोवन में पर्यटन विभाग से करीब 33 लाख की जल मिनार, शौचालय व विश्रम भवन बेकार हो गया है. तपोवन में उदघाटन के बाद से जलापूर्ति ठप है. लेकिन पर्यटन पदाधिकारी ने इसमें कोई खास रुचि नहीं दिखायी. पर्यटन विभाग के वरीय पदाधिकारी भी इस मामले में सोये रहे.
पर्यटन स्थलों के प्रचार से हो सकती है आमदनी
देवघर धार्मिक नगरी के साथ-साथ पर्यटक स्थल भी है. यहां त्रिकूट, तपोवन, रिखिया आश्रम, सतसंग आश्रम, देवसंघ, नंदन पहाड़, शिल्प ग्राम, नौलक्खा, हाथी पहाड़, हरिलाजोड़ी, बुढ़ैइ, सिकटिया बराज, पाथरौल, बकुलिया झरना आदि कई नामचीन जगह है. इन पर्यटन स्थलों को पर्यटन विभाग प्रचार-प्रसार कर पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है.लेकिन सेवानिवृत्त पदाधिकारी के भरोसे विभाग की कोई योजना ही तय नहीं हो पा रही है.
साल में लगते हैं कई प्रसिद्ध मेले
देवघर साल में तीन-चार प्रसिद्ध मेला लगता है. इसमें सबसे बड़ा श्रवणी मेला, शिव बरात, बसंत पंचमी व रथ यात्र मुख्य रूप से शामिल है. इन मेले का प्रचार-प्रसार बड़े पैमाने पर कर पर्यटकों को आकर्षित कर सरकार बेहतर राजस्व की प्राप्ति कर सकती है.
पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने की योजना नहीं
जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं के बाद भी जिला पर्यटन विभाग के पास ऐसी कोई योजना नहीं है, जिससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिल पाये. देवघर में पर्यटन को उद्योग के रुप में भी विकसित करने की कई संभावनाएं है. लेकिन सरकार की उदासीन रवैये के कारण यहां पदाधिकारी से लेकर मैन पावर तक भाड़े पर चल रहा है. पर्यटन विभाग तो कई अस्थायी कर्मियों को मानदेय तक समय पर भुगतान नहीं कर रही है. ऐसी परिस्थिति में भाड़े के पदाधिकारी के सहारे देवघर जैसे पर्यटन नगरी का पर्यटन विकास कैसे होगा.
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