अत: यह स्पष्ट है कि खास अवसरों पर पिरामिडों के गर्भ के एकदम नीचे आकाशीय नक्षत्रों तथा तारों का प्रकाश संकरे मार्ग से कुछ समय के लिए प्रक्षिप्त किया जाता था. ऐसे अवसर वर्ष में मात्र एक-दो बार उस समय आते थे जब ग्रहों की एक विशेष स्थिति होती थी. इस समय ये पिरामिड ब्रह्माण्डीय शक्ति तथा विकिरण से अत्यंत आवेशित हो उठते थे. यह अवधि मात्र कुछ मिनटों अथवा घंटों की होती थी. जब यह समय आता था तब आध्यात्मिक साधकों को दीक्षा प्रदान की जाती थी. इस दृष्टि से प्राचीन मिस्त्र के लोग लुब्धक का कुण्डलिनी के जागरण से बड़ा घनिष्ठ संबंध था. वे इसकी शक्ति की देवी आयसिस के रूप में अर्चना-आराधना करते थे. पिरामिडों की वास्तविक प्रकृति चाहे जो रही हो परंतु इतना तो स्पष्ट है कि दीक्षा के पूर्व साधकों को कुशल निर्देशन में दीर्घकाल तक ध्यान का प्रशिक्षण ग्रहण करना आवश्यक था.
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प्रवचन:::: पिरामिड ब्रह्माण्डीय शक्ति से आवेशित हो उठते थे
अत: यह स्पष्ट है कि खास अवसरों पर पिरामिडों के गर्भ के एकदम नीचे आकाशीय नक्षत्रों तथा तारों का प्रकाश संकरे मार्ग से कुछ समय के लिए प्रक्षिप्त किया जाता था. ऐसे अवसर वर्ष में मात्र एक-दो बार उस समय आते थे जब ग्रहों की एक विशेष स्थिति होती थी. इस समय ये पिरामिड ब्रह्माण्डीय […]
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