दुमका: भाकपा माओवादी संगठन ने दो जुलाई को काठीकुंड के अमतल्ला में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की हत्या की जिम्मेवारी ली है. माओवादी संगठन के संताल परगना जोनल कमेटी के प्रवक्ता सोनोत जी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है जिसमें उन्होंने कहा है कि उक्त घटना माओवादियों के सफलतापूर्वक संघर्ष का एक हिस्सा था. इस कार्रवाई में भाकपा माओवादी संगठन ने पुलिस-प्रशासन को मुंहतोड़ जवाब दिया है.
अमीरों के हित में काम कर रही पुलिस–मिलिटरी : सोनोत जी ने कहा है कि वर्तमान सामाजिक व्यवस्था दो वर्ग अमीर व गरीब में बंटी हुई है.अमीर वर्ग गरीबों पर शोषण कर रहा है. पुलिस–मिलिटरी भी अमीरों के हित में काम कर रही है और सीपीआइ माओवादी गरीब, शोषित, उत्पीड़ित (90 प्रतिशत) जनता के हित के लिए लड़ती है. लेकिन शोषक –शासक वर्ग गरीबों के मुक्ति संग्राम को दबाने के लिए तरह–तरह के आपरेशन चला रहे हैं. ग्रीन हंट के तहत संताल परगना में भी प्रशासन की दमनात्मक नीतियां जारी है.
पीएलजी कर रही विभिन्न जगहों पर जवाबी कार्रवाई : 5 जुलाई 2009 को रामगढ़के खोडंबा जंगल में हुए मुठभेड़ में सोमनाथ मुमरू उर्फ सोमनाथ दा की मृत्यु को हत्या बताते हुए सोनोतजी ने दावा किया है कि पुलिस ने उन्हें मुठभेड़ के बजाय पकड़कर गोली मारकर हत्या कर दी थी और हत्यारे पुलिसकर्मी को तत्कालीन एसपी द्वारा पुरस्कृत किया गया था. पुलिस की इसी दमनकारी रवैये के विरूद्ध पीएलजी झारखंड में विभिन्न जगहों में जवाबी कार्रवाई कर रही है.
पूर्व कुलपति बशीर अहमद खान को नहीं दी धमकी : पिछले दिनों विश्वविद्यालय में नक्सलवाद विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में कुलपति प्रो बशीर अहमद खान के द्वारा दिये गये वक्त व्य पर भी माओवादी संगठन ने आपत्ति जतायी है और इसे खारिज किया है कि नक्सली समस्या विकास में बाधक है. नक्सली प्रवक्ता ने कुलपति को धमकी भरा परचा भेजे जाने को दलालों-बदमाशों की हरकत बतायी है और कहा है कि पार्टी जन अदालत लगाकर दोषियों को सजा देगी. जोनल आइजी के विचारों को भी नक्सली प्रवक्ता ने गलत बताया है और कहा है कि यहां की जनता अपने हक की लड़ाई लड़ती रही है जिसके कई उदाहरण हैं. साहेबगंज क्षेत्र में अंथोनी के नेतृत्व में लड़ाई, अमड़ापाड़ा, शिकारीपाड़ा, काठीकुंड में विस्थापन के विरोध में जनांदोलन की लड़ाई लड़ी जा रही है लेकिन पुलिस-प्रशासन बंदूक और फौज के बल पर इस आंदोलन को दबाते रहे हैं.