देवघर: वर्ष 2014 चुनाव को लेकर आया और अब चुनाव के साथ ही संपन्न हो रहा है. एक साल के अंदर लोकसभा चुनाव, फिर विधानसभा चुनाव. लगातार चुनाव के बोझ से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाएं रुक सी गयी है.
वैसे देवघर में तो श्रवणी मेला भी प्रशासनिक तंत्र के लिए एक बहाना हो जाता है, जिसमें एक माह तक सभी प्रकार की विकास योजनाएं प्रभावित रहती है. कुल मिलाकर इस एक वर्ष के अंदर चुनाव के कारण गरीबों को उनकी महत्वपूर्ण योजनाओं से वंचित होना पड़ गया. गरीबों से जुड़ी केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण इंदिरा आवास योजना देवघर में करीब 4,000 यूनिट पेंडिंग है. चार हजार इंदिरा आवास का कोटा रहने के बावजूद जिला प्रशासन गरीबों को आवास मुहैया नहीं करा पायी.
यह पेंडिग चार हजार आवास वित्तीय वर्ष 2011-12 से चालू वित्तीय वर्ष तक के 10 प्रखंडों का है. यह आवास गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले बीपीएलधारियों के लिए स्वीकृत है. इन योजनाओं के एवज में केंद्र सरकार ने पैसा भेजा था, लेकिन चुनाव में आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य सरकर ने दूसरी किस्त नहीं दी. हालांकि इन योजनाओं को विधानसभा चुनाव के पहले प्रखंडों के पदाधिकारियों को डीसी के स्तर से कई बार नोटिस भी दी गयी थी. बावजूद काम समय पर पूरा नहीं हुआ. इस कारण गरीबों को छत से वंचित रहना पड़ गया.