रिखियापीठ : कृतज्ञता जीवन में जरुरी है. कृतज्ञता ही मनुष्य को विनम्र बनाती है. प्रत्येक व्यक्ति को कृतज्ञ होना चाहिए. उक्त बातें रिखियापीठ में प्रवचन में स्वमी सत्संगीजी जी ने कही. उन्होंने कहा कि रिखिया के कन्या-बटुकों को कृतज्ञता मिली है. कई लोग यह भूल जाते हैं. व्यावहारिक, धार्मिक व अध्यात्म जीवन में गुरु की ओर कृतज्ञ होना चाहिए. गुरु ही जीवन के पथ आगे बढ़ने का रास्ता बताते हैं. इसके लिए हृदय का द्वार खोलना होगा. रिखिया में सहज रूप से हृदय का द्वार खुल सकता है. कन्या-बटुकों के साथ-साथ गुरु के सानिध्य में रहने से हृदय का द्वार सहज रूप से खुल सकते हैं. इस युग में हृदय का द्वार खोलने का सबसे उत्तम माध्यम कीर्तन है. कीर्तन बार-बार करने से शुद्धि होती है.
जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता बताते हैं गुरु : स्वामी सत्संगी जह
रिखियापीठ : कृतज्ञता जीवन में जरुरी है. कृतज्ञता ही मनुष्य को विनम्र बनाती है. प्रत्येक व्यक्ति को कृतज्ञ होना चाहिए. उक्त बातें रिखियापीठ में प्रवचन में स्वमी सत्संगीजी जी ने कही. उन्होंने कहा कि रिखिया के कन्या-बटुकों को कृतज्ञता मिली है. कई लोग यह भूल जाते हैं. व्यावहारिक, धार्मिक व अध्यात्म जीवन में गुरु की […]
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