तसवीर है राजीव के फोल्डर में री-नेम रिक्शा चालकों का संवाददाता,जसीडीह वर्षों पूर्व से जसीडीह में रिक्शा चला कर भरण-पोषण करने वाले रिक्शा चलाकों को आजतक रैन बसेरा, पड़ाव आदि की सुविधाएं नहीं मिलने से कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीरवल दास, गनोरी दास, सुमन मांझी, रावण दास, छोटे महतो, नरेश दास आदि ने कहा कि वर्षों पूर्व से टावाघाट, सरसा, कुशमाहा, रोहिणी, रतनपुर, मानिकुपर, खोरीपानन,अंधरीगादर आदि गावों से एक सौ से अधिक रिक्शा चालक रोजाना जसीडीह बाजार आकर रिक्शा चला कर किसी तरह अपना और परिवार का भरण पोषण करता है. जसीडीह स्टेशन में दिन से अधिक रात में ट्रेनों का आवागमन होता है और रात में काफी संख्या में इस स्टेशन से यात्रियों का आना-जाना करता है. इसलिए रात में अधिक संख्या में रिक्शा चालक रोजी-रोटी की जुगाड़ में रिक्शा चलाते हैं. लेकिन रिक्शा चालकों के लिए जसीडीह में आज तक रैन बसेरा, रिक्शा पड़ाव आदि की सुविधा नहीं मिल पायी. ऐसे में रिक्शा चालकों को ठंड, वर्षा और गरमी की लू का सामना कर जहां-तहां रिक्शा खड़ा कर परेशानी का सामना करने को विवश है. अब ठंड का कहर भी शुरू होने लगा है. चालकों ने कहा कि रैन बसेरा व पड़ाव के लिए जनप्रतिनिधियों, नगर निगम के पदाधिकारी से गुहार लगाये. लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया. इन लोगों ने जिला प्रशासन व सांसद से रैन बसैरा, रिक्शा पड़ाव आदि सुविधा मुहैया कराने की मांग की.
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रिक्शा चालकों को अब तक नही मिला रैन बसेरा
तसवीर है राजीव के फोल्डर में री-नेम रिक्शा चालकों का संवाददाता,जसीडीह वर्षों पूर्व से जसीडीह में रिक्शा चला कर भरण-पोषण करने वाले रिक्शा चलाकों को आजतक रैन बसेरा, पड़ाव आदि की सुविधाएं नहीं मिलने से कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीरवल दास, गनोरी दास, सुमन मांझी, रावण दास, छोटे महतो, नरेश […]
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