देवघर: गीता देवी डीएवी स्कूल, सातर की स्कूली छात्राओं द्वारा अपने प्राचार्य पर यौन शोषण का आरोप लगाये जाने की घटना पर प्रशासन ने संवेदनशीलता नहीं दिखाया है. क्योंकि शिकायत के दस दिन बीत गये हैं, प्रशासन यह तक पता नहीं लगा पाया है कि यह आवेदन सही या गलत है.
उसमें जिन छात्राओं के हस्ताक्षर हैं, वह सही है या गलत. प्रशासन इसकी जांच में लंबा समय ले रहा है. इससे स्कूल की छवि और प्राचार्य की गरिमा को भी ठेस पहुंच रही है. इस प्रकरण की तुरंत जांच होनी चाहिए थी. इस आवेदन को एसडीएम ने संज्ञान में तो लिया. उन्होंने जांच के लिए 28 अगस्त व एक सितंबर को नौ सदस्यीय टीम का गठन कर संबंधित अधिकारियों को पत्र भी जारी किया. लेकिन प्रशासनिक कार्यशैली की विडंबना है कि एक-दो को छोड़ किसी भी पदाधिकारी को जांच संबंधी एसडीएम का पत्र नहीं मिला है. पत्र में लिखा है कि तीन दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपें. लेकिन जब पत्र ही नहीं मिला है तो जांच कैसे होगी. यह है यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रशासनिक जांच की कार्यशैली.
आवेदन के हस्ताक्षर शक के दायरे में: जिस आवेदन पर एसडीएम ने जांच के आदेश दिये हैं. उसमें जो नौ छात्राओं के हस्ताक्षर दर्शाये गये हैं, वह भी शक के दायरे में हैं. क्योंकि लगभग सभी छात्राओं की हैंडराइटिंग एक सा प्रतीत होता है. लेकिन यह आवेदन सही या गलत, हस्ताक्षर फेक या ऑरिजिनल यह जांच तो तुरंत करनी चाहिए थी. यदि बात सही है तो पीड़ित छात्राओं को त्वरित न्याय मिलता या जांच में बात गलत साबित होती तो प्राचार्य को क्लीन चिट मिलता और उनका टेंशन भी खत्म होता.
एसडीएम ने कहा :
यह आवेदन डाक से प्राप्त हुआ है. चूंकि मामला छात्राओं से जुड़ा है और संवेदनशील है. इसलिए मैंने जांच कमेटी बना दी है. लेकिन जांच अधिकारियों ने समय पर रिपोर्ट नहीं सौंपी है. इसलिए सभी को पुन: स्मार पत्र दे रहे हैं कि डीएवी स्कूल की छात्राओं द्वारा लगाये गये आरोप की जांच कर अविलंब रिपोर्ट दें.
-जय ज्योति सामंता, एसडीएम, देवघर
सीओ ने कहा
डीएवी स्कूल से जुड़ा जांच का कोई मामला उनके सामने नहीं आया है. यदि कोई ऐसा मामला सामने आयेगा. तो अवश्य उसकी जांच कर रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को सौंपेंगे.
-शैलेश कुमार, सीओ, देवघर अंचल