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बच्चों के साथ दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा लागू हो: डॉ निशिकांत दुबे

देवघर : संसद में गुरुवार को सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने बाल अपराध व बच्चों के साथ रेप जैसे जघन्य मामले में फांसी की सजा की वकालत की. उन्होंने बाल संरक्षण बिल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि किसी देश की आत्मा उसके बच्चों में बसती है. हम बच्चों की किस तरह से केयर करते […]

देवघर : संसद में गुरुवार को सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने बाल अपराध व बच्चों के साथ रेप जैसे जघन्य मामले में फांसी की सजा की वकालत की. उन्होंने बाल संरक्षण बिल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि किसी देश की आत्मा उसके बच्चों में बसती है.

हम बच्चों की किस तरह से केयर करते हैं. अमेरिका जैसे देश में चाइल्ड प्रोटेक्शन का कितना बड़ा लॉ होगा कि यदि उसे डांट दे, उसको थप्पड़ मार दे, यहां तक की उसके मां-बाप भी मार दे, तो आप समझिये कि फौरन पुलिस आ जाती है. डॉ निशिकांत ने कहा कि इस बिल को लेकर जिस तरह की चर्चाएं चल रहीं हैं, मुझे आश्चर्य होता है कि डेथ ऑफ पेनल्टी क्यों नहीं होना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने इस बिल के ऑब्जकेट्स एंड रीजन में मच्छी सिंह का एक बड़ा जिक्र किया है. उन्होंने 1983 का एक जजमेंट क्वोट किया है कि इससे ज्यादा रेयरेस्ट ऑफ द रेयर क्या क्राइम हो सकता है. इस बिल को लाने के लिए सरकार व विभागीय मंत्री बधाई के पात्र हैं, जिसने इतने संवेदनशील मुद्दे पर अपना विल पावर दिखाया है कि वह इसमें डेथ पेनाल्टी लायी है.
इस बिल में बच्चों को लेकर आर्गेनाइज्ड क्राइम करनेवालों को जोड़ा जाये. आज तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है. जजों की अकाउंटिबिलिटी है कि पार्लियामेंट जो कानून पास करती है एक साल में ही उसकी सजा तय होनी है. निर्भया केस में देख रहा हूं, कोई रिविजन पिटिशन, कोई मर्सी पिटिशन, कोई कोअर्सिव पिटिशन, कोई रिट पिटिशन से किस तरह से निर्भया केस डिले हुआ. आगे से इसे रोका जाये.

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