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देवघर : डॉ सिकंदर सिंह ने स्वास्थ्य विभाग व आर्थिक सलाहकार को भेजा प्रस्ताव

वेस्टेज दवाइयों को बचाने के लिए खोजी नयी तकनीक दवा की स्ट्रिप पर दोनों तरफ एक्सपायरी डेट व बैच नंबर लिखने का प्रस्ताव देवघर : दवा की बर्बादी रोकने के लिए शहर के जाने-माने फिजिसियन डॉ सिकंदर सिंह ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया है. उन्होंने अपनी पुत्री कोल इंडिया की अधिकारी सुप्रिया भारती के साथ मिलकर […]

वेस्टेज दवाइयों को बचाने के लिए खोजी नयी तकनीक
दवा की स्ट्रिप पर दोनों तरफ एक्सपायरी डेट व बैच नंबर लिखने का प्रस्ताव
देवघर : दवा की बर्बादी रोकने के लिए शहर के जाने-माने फिजिसियन डॉ सिकंदर सिंह ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया है. उन्होंने अपनी पुत्री कोल इंडिया की अधिकारी सुप्रिया भारती के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया और उसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा सहित आर्थिक सलाहकार को भेजा है.
उनके प्रस्ताव के मुताबिक दवाइयों की स्ट्रिप पर दोनों तरफ एक्सपायरी डेट व बैच नंबर लिखा हो. अगर दवा की स्ट्रिप पर दोनों तरफ बैच नंबर लिखा रहेगा तो दवा की बर्बादी काफी कम होगी. अभी जो दवा बाजार में बिकती है, उसमें एक ही तरफ बैच नंबर व एक्सपायरी डेट लिखा रहता है. कभी-कभी मरीज चार या छह दवा खरीदते हैं और दुकानदार उन्हें काटकर बिक्री कर देता है. ऐसे में मरीज या ग्राहक में से किसी एक के पास एक्सपायरी व बैच नंबर लिखी दवा की स्ट्रिप रहती है. दोनों में से किसी एक के पास की दवा बचने पर बर्बाद हो जाती है. या फिर मरीज द्वारा आंशिक रूप से उपयोग की जाने वाली दवा अगर बच जाता है और उसमें अंकित एक्सपायरी, बैच नंबर फट जाता है तो वह वापस नहीं होता है. वहीं दोबारा मरीज भी उस दवा का उपयोग नहीं कर पाते हैं. अगर दवा की स्ट्रिप पर दोनों और बैच नंबर व एक्सपायरी डेट लिखा होगा तो मरीजों को सुविधा होगी. साथ ही देश का करोड़ों रुपये का खजाना भी बचेगा. ऐसे में हमारे देश में अनुपयोगी दवा के लिए प्रभावी योजना की कमी के कारण रोगियों द्वारा अधिकांश अप्रयुक्त दवाओं को फेंक दिया जाता है.
भारत में दवा की बर्बादी यूके से अधिक: यूके में प्रति वर्ष 300 मिलियन की अप्रयुक्त या आंशिक रूप से उपयोग की जाने वाली दवा बर्बाद हो जाती है.
हमारे देश में ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि उस आंकड़े से यहां अधिक ही होगा. उदाहरण के तौर पर अगर एक मरीज का कम से कम 100 रुपये मूल्य का 10 से 15 टैबलेट बच जाता है, तो कुल आबादी के आधार पर इस तरह की बर्बादी की गणना व अर्थव्यवस्था हानि बहुत महत्वपूर्ण दिखाई देती है.
करोड़ों की होगी बचत: मल्टी-डोज स्ट्रिप या ब्लिस्टर पैक में स्ट्रिप के दोनों सिरों को बढ़ाकर जगह बनायी जाये, जिसमें दोनों तरफ दवा की पैकिंग नहीं हो. उसी ब्लिस्टर या स्ट्रिप की बढ़ी पैकिंग पर दोनों तरफ एक्सपायरी डेट व बैच नंबर लिखा जा सकता है. इससे ब्लिस्टर या स्ट्रिप से दवा निकलेगी, तो भी बैच नंबर व एक्सपायरी डेट नहीं फटेगा.
मरीज आधी स्ट्रीप खरीदकर ले जायेंगे, तो दुकानदार व उनके पास भी बैच नंबर व एक्सपायरी लिखा रहेगा. मरीज दोनों तरफ में किसी साइड से दवा खोलेंगे तो एक्सपायरी व बैच नंबर लिखा बच जायेगा. यह प्रक्रिया लागू करने में प्रति स्ट्रीप मात्र दो से तीन पैसे ही खर्च बढ़ेंगे. वहीं इससे देश को करोड़ों की बचत होगी.

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