देवघर: भारत सरकार का बहुउद्देशीय कार्यक्रम मध्याह्न् भोजन योजना खाद्य सुरक्षा पोषण की कमी को दूर करने के लिए प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में शुरू किया गया है. योजना का लाभ जिले के 2108 स्कूलों के 2.74 लाख बच्चों को दिया जाना है.
लेकिन, कभी आवंटन तो कभी राशि के अभाव में स्कूल के बच्चे नियमित मध्याह्न् भोजन कार्यक्रम से वंचित रहना पड़ रहा है. मध्याह्न् भोजन पकाने में गुणवत्ता एवं स्वच्छता का ख्याल रखना तो दूर की बात हो गयी है. वर्तमान में देवघर के दर्जनों स्कूलों में राशि के अभाव में मध्याह्न् भोजन बंद पड़ा है.
नतीजा स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम होने लगी है. चालू वित्तीय वर्ष के बजट में मध्याह्न् भोजन के लिए राशि का प्रावधान होने के बाद भी अबतक विभाग से आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है. जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा विभाग को कई बार डिमांड भी भेजा गया है. फिर भी विभाग इससे बेखबर है.
एक सितंबर 2004 में शुरू हुआ था एमडीएम
यह योजना 15 अगस्त, 1995 को लागू की गयी थी. योजना के तहत कक्षा एक से पांच तक के सरकारी, परिषदीय, राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्रओं को जिनकी उपस्थिति 80 फीसदी है, उन्हें हर महीने तीन किलोग्राम गेंहू या चावल दिये जाने का प्रावधान था. मगर इस योजना के अंतर्गत पढ़ने वाले बच्चों को दिया जाने वाला खाद्यान्न का पूरा लाभ सीधा बच्चों को नहीं मिलता था. बल्कि बच्चों के परिवारों के बीच बांट दिया जाता था. 28 नवंबर 2001 को सुप्रीम कोट द्वारा दिये आदेश में एक सितंबर, 2004 से पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध कराने की योजना शुरू की गयी थी. योजना की सफलता को देखते हुए अक्तूबर 2007 से इसे शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े प्रखंडों में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा अप्रैल 2008 से शेष सभी प्रखंडों में एवं नगर क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय तक विस्तारित कर दिया गया.