14 मार्च को ही आयोग से मांगी थी राशि
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गायें मरी, तो आयोग को याद आया अनुशंसा पत्र
14 मार्च को ही आयोग से मांगी थी राशि देवघर : बाबा नगरी के बैद्यनाथधाम गोशाला में सरकारी प्रक्रिया में फंस कर 50 गायों की मौत मामले में गो सेवा आयोग ने भी गंभीरता नहीं दिखायी. गायें जब मरने लगी, तब गो सेवा आयोग को गाय के भोजन फंड के लिए डीसी के अनुशंसा पत्र […]
देवघर : बाबा नगरी के बैद्यनाथधाम गोशाला में सरकारी प्रक्रिया में फंस कर 50 गायों की मौत मामले में गो सेवा आयोग ने भी गंभीरता नहीं दिखायी. गायें जब मरने लगी, तब गो सेवा आयोग को गाय के भोजन फंड के लिए डीसी के अनुशंसा पत्र की याद आयी. 14 मार्च को ही डीएचओ एनजी टोप्पो द्वारा जब गाय के भोजन के पैसे का डिमांड पत्र भेजा गया, तो उस समय डीसी का अनुशंसा पत्र गो सेवा आयोग द्वारा नहीं मांगा गया. दो माह तक गो सेवा आयोग चुप्पी साधे रहा. जब गायों की मौत की खबर उजागर हुई,
तो गो सेवा आयोग को डीसी का अनुशंसा पत्र याद आया. आयोग के सचिव ने अनुशंसा पत्र की जगह अब फाइल में डीसी द्वारा दिये गये आदेश की छायाप्रति ही फोन कर डीएचओ से मांगी गयी. शुक्रवार को डीएचओ ने डीसी द्वारा फाइल में किये गये आदेश की छायाप्रति को गो सेवा आयोग के सचिव को ई-मेल किया गया.
मालूम हो कि श्री बैद्यनाथधाम गोशाला ने जब पशुपालन विभाग के माध्यम से डीसी के पास गाय के भोजन के फंड का डिमांड भेजा, तो डीसी ने फाइल में ही जांच करने का निर्देश दिया. डीएचओ ने जांच कर गोशाला प्रबंधन के डिमांड को उचित बताते हुए डीसी को फिर फाइल बढ़ायी. डीसी ने नौ मार्च को इसकी फाइल पर ही दी. डीएचओ ने गो सेवा आयोग के सचिव को 14 मार्च को ही डिमांड के लिए पत्र भेज दिया, इसमें डीसी के हस्ताक्षरयुक्त अनुशंसा पत्र नहीं था, जिसे आयोग मानने को तैयार नहीं था.
दो माह बाद फिर गो सेवा आयोग को भेजी गयी डीसी की अनुशंसा की काॅपी
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