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तामझाम खूब, कुपोषण मिटाने में रुचि नहीं

मधुपुर : अनुमंडलीय अस्पताल में चल रहे कुपोषण उपचार केंद्र पर एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. कुपोषित बच्चों के लिए 10 बेड है. केंद्र पर एक चिकित्सक, चार एएनएम व एक रसोइया का पद स्वीकृत है. वर्तमान में एक चिकित्सक व दो एएनएम कार्यरत हैं. कुपोषण केंद्र के लिए बजट पांच लाख 10 हजार […]

मधुपुर : अनुमंडलीय अस्पताल में चल रहे कुपोषण उपचार केंद्र पर एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. कुपोषित बच्चों के लिए 10 बेड है. केंद्र पर एक चिकित्सक, चार एएनएम व एक रसोइया का पद स्वीकृत है. वर्तमान में एक चिकित्सक व दो एएनएम कार्यरत हैं. कुपोषण केंद्र के लिए बजट पांच लाख 10 हजार वार्षिक है.
अनुमंडल अस्पताल परिसर में यह केंद्र वर्ष 2015 से संचालित है. शुरुआती दौर में केंद्र में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए अच्छी उपस्थिति होती थी, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे बच्चों की भर्ती केंद्र पर कम होने लगी. इस संबंध में कुपोषण केंद्र के चिकित्सक सह प्रभारी डॉक्टर सुनील मरांडी ने बताया कि इस वर्ष 42 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया.
बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी रहते हैं, लेकिन कई अभिभावक जिनका अस्पताल से गांव नजदीक होता है, वे अपने बच्चों का इलाज करा कर साथ अपने ले जाते हैं. बच्चों की उपस्थिति एक माह से अच्छी नहीं हो रही है. केंद्र पर कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराने की जवाबदेही आंगनबाड़ी सेविका की है, लेकिन वे अपने कार्य में रुचि नहीं ले रही हैं. इस वजह से बच्चे कुपोषण केंद्र में भर्ती नहीं हो पाते हैं.
एडमिट छह, केंद्र पर एक भी बच्चा नहीं
करौं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करौं में स्थापित कुपोषण उपचार केंद्र की स्थिति अच्छी नहीं है. गुरुवार को एमसीटी सेंटर की पड़ताल में करीब 4 बजे एक भी बच्चा केंद्र पर भर्ती नहीं था. 10 बेड के कुपोषण केंद्र में छह बच्चों का नामांकन है. इस संबंध में एएनएम अनीता देवी ने बताया कि रात में अभिभावक बच्चे को केंद्र में रखना नहीं चाहते हैं. केंद्र पर बच्चों की देखभाल के लिए एक चिकित्सक व तीन एएनएम के पद स्वीकृत हैं, लेकिन केंद्र पर एक ही एएनएम की उपस्थिति पायी गयी. केंद्र का वार्षिक बजट तीन लाख 90 हजार रुपये है.
पालोजोरी: तीन माह में केवल तीन बच्चों का हुआ इलाज
पालोजोरी : पालोजोरी का कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) संसाधनों की घोर कमी का दंश झेल रहा है़ इस केंद्र की शुरुआत छह नवंबर 2013 को हुई थी़ केंद्र पर पिछले साढ़े तीन माह मेंं केवल तीन बच्चों का ही इलाज हुआ है़, जबकि इस केंद्र की क्षमता 10 बेड की है़ यहां एक चिकित्सक, चार प्रशिक्षित एएनएम, एक रसोइया व एक सफाई कर्मी के पद सृजित है़ं यहां अलग से कोई डॉक्टर नियुक्त नहीं है, बल्कि सीएचसी के प्रभारी ही यहां की व्यवस्था देखते हैं. चार के बजाए उधार की दो एएनएम यहां हैं.
दोनों उप स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थापित हैं. यहां की रसोइया को पिछले पांच माह से मानदेय नहीं मिला है. प्रति बच्चा हर दिन 50 रुपये व बच्चे की मां को 100 रुपये दिये जाने का प्रावधान है़ इसके अलावा बच्चों के लिए दवा की भी अलग से व्यवस्था है़ एमटीसी में बच्चों के खेलने के लिए खिलौना, मनोरंजन के लिए टीवी आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन पालोजोरी एमटीसी मेंं बच्चों के खेलने के लिए एक भी खिलौना नहीं है़ वहीं बुधवार को एमटीसी के वार्ड में एक टीवी लगाया गया है़
यहां पर एक रसोइया तैनात है, लेकिन उसे रसोइया के मानदेय के बदले सपोर्टिंग स्टाफ का मानदेय दिया जा रहा है़ सफाई कर्मी के छुट्टी में रहने के कारण शौचालय में कबूतर की बीट दिखी. वहीं शौचालय की दीवार से रंग व प्लास्टर झड़ने लगा है़ इस केंद्र की कुव्यवस्था की वजह से यहां इलाज के लिये कुपोषित बच्चों ने आना छोड़ दिया है.

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