देवघर : रामनवमी के त्योहार में वर्षों से अपनी सहभागिता निभा कर सांप्रदायिक सद्भावना की अद्भुत मिसाल कर रहे हैं जूनबांध के रहनेवाले मो मुस्तकिम शेख. वे हर वर्ष दिन-रात एक कर रामनवमी में फहराये जाने वाले बजरंगी पताका को तैयार करते हैं. चैत्र मास शुरू होते ही वे पताका बनाने में जुट जाते हैं. मो मुस्तकिम के लिए यह एक रोजगार नहीं, बल्कि मन का जुड़ाव भी है. हर साल रामनवमी का बेसब्री से इंतजार रहता है. उन्हें खुशी होती है कि उनके हाथों के बना झंडा बजरंगबली मंदिरों के शिखर पर फहराया जाता है. 72 वर्षीय मो मुस्तकिम बताते हैं कि उनके तीन पुश्त से रामनवमी का पताका बनाते आ रहे हैं.
उन्होंने अपने पिता मो इसाख खलीफा से झंडा बनाने की कला सीखी. बचपन से लेकर अब तक हजारों पताका बेच चुके हैं. अब इसमें कमाई नहीं है. इसमें मेहनत के साथ-साथ लागत अधिक हो गयी है, लेकिन वे परंपरा को निभा रहे हैं. अब शरीर भी अधिक साथ नहीं दे रहा है. बावजूद रामनवमी में भक्तों की आस्था को देखते हुए काम कर रहे हैं. उनकी पत्नी झंडा बनाने में काफी सहयोग करती है. मो मुस्तकिम ने बताया कि उनके पास 10 रुपये से लेकर 120 रुपये तक का पताका उपलब्ध रहता है.