कुछ बैंकों को छोड़ अधिकांश की स्थिति ठीक नहीं
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सीडी रेशियो खराब, ऋण देने में फिसड्डी हैं बैंक
कुछ बैंकों को छोड़ अधिकांश की स्थिति ठीक नहीं देवघर : देवघर की बैंकिंग व्यवस्था बीमार है. एसबीआइ सरीखे कुछ बैंकों को छोड़ दें तो अधिकांश बैंकों की स्थिति कुछ ठीक नहीं है. क्योंकि किसी भी जिले का विकास द्योतक सीडी रेशियो होता है और देवघर जिले का सीडी रेसियो मात्र 32.78 फीसदी ही है. […]
देवघर : देवघर की बैंकिंग व्यवस्था बीमार है. एसबीआइ सरीखे कुछ बैंकों को छोड़ दें तो अधिकांश बैंकों की स्थिति कुछ ठीक नहीं है. क्योंकि किसी भी जिले का विकास द्योतक सीडी रेशियो होता है और देवघर जिले का सीडी रेसियो मात्र 32.78 फीसदी ही है. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि देवघर में बैंकों की कैसी कार्यशैली है. जबकि गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे भारत सरकार में फाइनांस कमेटी के मेंबर हैं, उनके लोकसभा क्षेत्र के बैंकिंग सिस्टम का ये हाल है.
विडंबना है कि देवघर के बैंक यहां से फल-फूलते हैं लेकिन जिले के विकास में, स्वरोजगार ऋण देने में, भारत सरकार की योजनाओं में इनका योगदान काफी चिंताजनक है. सरकार की योजनाओं पर बैंक कितने गंभीर हैं, इस बात से पता चलता है कि देवघर के बैंकों ने सितंबर से दिसंबर-2017 तक मात्र 0.43 फीसदी ही ऋण दिया. जनवरी 29 को हुए डीएलसीसी की बैठक के आंकड़ों के मुताबिक सबसे सीडी रेशियो में सबसे बेहतर एक्सिस बैंक है, इसका रेसियो 72.67% है जबकि सबसे कम सीडी रेसियो 13.80% सेंट्रल बैंक का है.
मुख्य बातें
मात्र 32.78% है देवघर का सीडी रेसियो
आबादी 15 लाख, बैंकों के ब्रांच मात्र 134
प्रति 5000 की आबादी पर होना चाहिए एक शाखा
कम से कम 300 शाखाओं होना जरूरी
ऋण देने में भी फिसड्डी हैं बैंक, मात्र 0.43% ही है उपलब्धि
15 लाख की आबादी तक बैंकों की पहुंच नहीं
देवघर की आबादी तकरीबन 15 लाख है. लेकिन इतनी बड़ी आबादी तक बैंक नहीं पहुंच पाये हैं. क्योंकि नियमानुसार प्रत्येक पांच हजार की आबादी पर एक बैंक की शाखा खुलना है लेकिन देवघर जिले में मात्र 134 शाखाएं ही चल रही है. जबकि शाखाओं की संख्या कम से कम 300 होनी चाहिए. इस तरह देखें तो लगभग 12000 की आबादी पर एक बैंक की शाखा है. जबकि देवघर जिले में कई बैंकों के जोनल, रिजनल कार्यालय तक काम कर रहे हैं.
शिक्षा ऋण की उपलब्धि 29.9 फीसदी
डीएलसीसी के आंकड़े बताते हैं कि बैंक शिक्षा ऋण देने में फिसड्डी है. बैंक ने लक्ष्य 1000 के विरुद्ध 343 को ही शिक्षा ऋण दिया. स्वीकृत ऋण राशि का प्रतिशत मात्र 29.9 रहा. यही हाल कृषि क्षेत्र में ऋण का रहा है. किसानों को मात्र 55.8 फीसदी ही राशि ऋण दिया गया है. बैंकों ने छोटे उद्योगों और हाउसिंग लोन देने में अधिक रुचि दिखायी है. छोटे उद्योगों को ऋण राशि का 136.8 फीसदी और हाउसिंग लोन की उपलब्धि 100 फीसदी है. यहां के बैंकों ने प्रायोरिटी सेक्टर में 82.8 फीसदी और नन प्रायोरिटी सेक्टर में 47.3 फीसदी ही लक्ष्य प्राप्त किया है. आंकड़े बताते हैं कि यहां के बैंक किस तरह से कृषि, स्वरोजगार व शिक्षा ऋण देने से कन्नी काट रहे हैं.
देवघर की बैंकिंग व्यवस्था की चिंता से मैंने बैंकिंग सेक्रेटरी राजीव कुमार को अवगत कराया है. उनसे कहा है कि कैसे देवघर के बैंकों की व्यवस्था सुधरेगी, देखें. यदि फिर भी जिले की बैंकिंग व्यवस्था नहीं सुधरी तो सरकार जानती है कि कैसे बैंकों को सुधारा जाये. हर हाल में बैंकों को देवघर के विकास में योगदान देना होगा.
-निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा लोकसभा
देवघर की बैंकिंग व्यवस्था की चिंता से मैंने बैंकिंग सेक्रेटरी राजीव कुमार को अवगत कराया है. उनसे कहा है कि कैसे देवघर के बैंकों की व्यवस्था सुधरेगी, देखें. यदि फिर भी जिले की बैंकिंग व्यवस्था नहीं सुधरी तो सरकार जानती है कि कैसे बैंकों को सुधारा जाये. हर हाल में बैंकों को देवघर के विकास में योगदान देना होगा.
-निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा लोकसभा
पीएमइजीपी ऋण देने में भी बैंक करते हैं आनाकानी
रिपोर्ट के मुताबिक देवघर के बैंक पीएमइजीपी ऋण देने में अनाकानी करते हैं. पेश रिपोर्ट के तहत 188 के विरुद्ध मात्र 88 आवेदन को ही स्वीकृति दी गयी है. यानी उपलब्धि 50 फीसदी से भी कम. एसबीआइ सहित कई बैंक तो ऋण के लिए स्वीकृत होकर आये आवेदन पर कुंडली मारकर बैठे रहते हैं और काफी समय पार हो जाने के बाद रिजेक्ट कर देते हैं.
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