कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रमेश बाजला ने तुलसीदास रचित रामचरित मानस को सनातन संस्कृति का रक्षक बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी विद्यापीठ अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन कर रहा है. विशिष्ट अतिथि मोतीलाल द्वारी ने कहा कि रामचरित मानस एक महामंत्र है जो इसे पढ़ेगा वो अवश्य लाभांवित होगा. प्रो रामनंदन सिंह ने कहा कि तुलसी दास द्वारा जगायी गयी सामाजिक चेतना मुख्य रूप से आज ज्यादा प्रासांगिक है.
डॉ नागेश्वर शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार तुलसी का पौधा घर के आंगन को पवित्र कर देता है. उसी प्रकार तुलसी दास जी की रचना मानव मन को पवित्र कर देता है. विद्यापीठ के साहित्य भूषण तथा साहित्य अलंकार के छात्र बेपोजो एवं पोसुतसो डी वादे ओ तथा ईरांग चूले ने तुलसीदास की जीवनी पर प्रकाश डाला. समारोह में छात्रों को पुरस्कृत किया गया.
कार्यक्रम का संचालन प्रो संजय खवाड़े ने किया. इस मौके पर बीएड कॉलेज के नवनियुक्त प्राचार्य राहुल कुमार पांडेय, गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय के प्राचार्य अमित झा, वार्ड पार्षद शैलजा देवी, प्रदीप बाजला, पुरण शंकर फलाहारी, चंद्रमोहन झा, जयनारायण झा, मीडिया प्रभारी शंभु सहायक, हिमांशु झा सहित काफी संख्या में विद्यापीठ के छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे.