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नक्सली से निबटने के लिए योजना नहीं

देवघर: संताल के तीन जिलों में नक्सलियों ने अपना पांव मजबूती से जमा लिया है. देवघर सहित दुमका व पाकुड़ के जंगली इलाके में नक्सलियों की चहलकदमी होती रही है. वहीं इन जिलों के शहरी इलाके में भी कई नक्सली सदस्य आसरा लेकर पुलिस की गतिविधियों की रेकी करते हैं. तीनों जिलों में नक्सलियों ने […]

देवघर: संताल के तीन जिलों में नक्सलियों ने अपना पांव मजबूती से जमा लिया है. देवघर सहित दुमका व पाकुड़ के जंगली इलाके में नक्सलियों की चहलकदमी होती रही है. वहीं इन जिलों के शहरी इलाके में भी कई नक्सली सदस्य आसरा लेकर पुलिस की गतिविधियों की रेकी करते हैं. तीनों जिलों में नक्सलियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर जबर्दस्त उपस्थिति का अहसास भी कराया है.

बावजूद अब भी इन जिलों में सरकार द्वारा ठोस सुरक्षा बंदोबस्त नहीं किया जा सका है. तीनों जिला तीन संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. फिर भी कभी जनप्रतिनिधियों ने सुरक्षा को लेकर कहीं कोई प्रयास नहीं किये. इन जिलों में सुरक्षा संसाधनों का आरंभ से कमी रही है. वहीं नक्सलियों से संघर्ष के लिये कहीं कोई अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों का बंदोबस्त नहीं है. वहीं अगर बड़ी घटना के बाद मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिस-फोर्स मंगाया भी जाता है तो उनके ठहराव की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है.

सरकारी भवनों, पंचायत भवन व स्कूल भवन में सुरक्षा कर्मियों को ठहराया जाता है. तीनों जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांव के लोग सड़क, बिजली, पानी व शिक्षा की समस्याओं से भी जूझते रहे हैं. इन इलाकों में गरीबी व अशिक्षा चरम पर है. इसी मजबूरी को नक्सली हथियार बना कर अपना पांव आसानी से जमाते रहे हैं.

जसीडीह से हुए थे सात मजदूर अगवा
देवघर जिले के जसीडीह व मोहनपुर थाना क्षेत्र का सीमावर्ती इलाका बिहार से सटा हुआ है. जसीडीह से पटना जाने वाली रेलखंड पर तो लाल सलाम का पूरा आधिपत्य कायम है. वहीं मोहनपुर थाना क्षेत्र का इलाका भी नक्सलियों से अछूता नहीं है. 25 जनवरी 2009 को पुलिस-जेपीसी मुठभेड़ में कथित एरिया कमांडर राजेश मांझी मारा गया था. बड़े पैमाने पर हथियार, वर्दी व नक्सली साहित्य आदि पुलिस ने बरामद किया था. दिसंबर 2013 में जसीडीह इलाके से सात मजदूरों को नक्सलियों ने अगवा किया था.
पैनम के अधिकारी भी मारे गये थे नक्सली घटना में
पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र में पैनम कोल माइंस पड़ता है. यह इलाका भी नक्सल प्रभावित है. पूर्व में पैनम कोल माइंस के अधिकारी भी नक्सली घटना में मारे गये थे. वहीं समाजसेवी वालसा जॉन की हत्या भी नक्सलियों द्वारा की गयी थी. इसके अलावे कई कंस्ट्रक्शन कंपनियों के मशीन आदि को नक्सली जलाते रहे हैं.
नहीं हुई अतिरिक्त सुरक्षा बंदोबस्त
मुख्यालय द्वारा संताल के तीन जिले में एक-एक कंपनी अतिरिक्त बटालियन की स्वीकृति मिली थी. वहीं नक्सल अभियान के लिये दुमका में अतिरिक्त हेलीकॉप्टर देने की बात भी हुई थी. घोषणा के कई महीने बीत गये, वहीं अब तक देवघर, दुमका व पाकुड़ को न ही नक्सल अभियान के लिये अतिरिक्त बटालियन ही मिला और न ही हेलीकॉप्टर भेजे गये.

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