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केके स्टेडियम में बनेगा जिम, इंडोर में लगेंगे सीसीटीवी
26 अगस्त को होगी एसजीएम पानी किल्लत को दूर करने के लिए होगा डीप बोरिंग देवघर : अब देवघर के खिलाड़ी भी टीम इंडिया के खिलाड़ियों की तरह तंदरुस्त व मजबूत नजर आयेंगे. इस बात को अमली जामा पहनाने के लिए रविवार की शाम केके स्टेडियम स्थित जिला खेल प्राधिकरण(डीएसए) के कार्यालय में बैठक हु. […]
26 अगस्त को होगी एसजीएम
पानी किल्लत को दूर करने के लिए होगा डीप बोरिंग
देवघर : अब देवघर के खिलाड़ी भी टीम इंडिया के खिलाड़ियों की तरह तंदरुस्त व मजबूत नजर आयेंगे. इस बात को अमली जामा पहनाने के लिए रविवार की शाम केके स्टेडियम स्थित जिला खेल प्राधिकरण(डीएसए) के कार्यालय में बैठक हु. जिसकी अध्यक्षता डीएसए के महासचिव युधिष्ठिर राय ने की. बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह है कि शहर के खिलाड़ियों को चुस्त-दुरुस्त व तंदरूस्त बनाने के लिए डीएसए की अोर से एक जिम सेट अप किया जायेगा. आये दिन यहां खेल के अलावा ढेर सारे सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. इस दौरान खिलाड़ियों को पेयजल की भी समस्या होती है. उस समस्या को दूर करने के लिए डीएसए की अोर से एक डीप बोरिंग करवाये जाने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा इंडोर स्टेडियम में मिल रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए स्टेडियम परिसर में सीसीटीवी लगाये जाने का निर्णय लिया गया.
26 अगस्त को होगी एसजीएम: बैठक में 26 अगस्त को डीएसए की स्पेशल जेनरल मीटिंग आयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया. जो जसीडीह-डाबरग्राम स्थित पंचायत प्रशिक्षण भवन में आयोजित होगा. उक्त आशय की जानकारी डीएसएस सचिव आशीष झा ने दी. बैठक में डीएसए महासचिव व सचिव के अलावा आरके सिंह जवाहर, संजय मालवीय, वीरेंद्र सिंह, रामप्रवेश सिंह, रामसेवक सिंह गुंजन, विनोद नेवर, संजय तिवारी, प्रवीर चौबे, डॉ अमित, धर्मेंद्र देव, केके बरनवाल, विजय झा, इफ्तिखार शेख, शिबू सिंह, नवीन शर्मा सहित दर्जन भर लोग मौजूद थे.
अब के राजनीतिक हालात आपातकाल से भी बदतर
आपातकालीन काली घटा का असर गया शहर पर भी व्यापक रूप से पड़ा था. गया गाेलीकांड के बाद लाेकनायक जयप्रकाश नारायण ने यहीं आंदाेलन के नेतृत्व का बागडाेर संभाला था. आपातकाल की घाेषणा के बाद प्रदेश संघर्ष संचालन समिति की बैठक गया के बुनियादगंज स्थित खादी ग्रामाेद्याेग भवन में त्रिपुरारि शरण सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुई थी. इस बैठक में शामिल हाेनेवाले वशिष्ठ नारायण सिंह, कुमार प्रशांत, शिवमूर्ति, तकी रहीम, शायमुद्दीन सहित 17 लाेगाें काे गया में बंदी बना कर गया केंद्रीय कारागार में रखा गया. बाेधगया में सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस जगन्नाथन की बाेधगया में गिरफ्तारी हुई. इसी के साथ सत्याग्रह का सिलसिला शुरू हाे गया. प्रसिद्ध नारायण सिंह, शंभु शरण सिंह व युवा वाहिनी के कई नेताअाें के नेतृत्व में सैकड़ाें लाेगाें ने अपनी गिरफ्तारियां दीं. डाल्टेनगंज जेल में जब आंदाेलनकारियाें से मिलने गया, तब जेल गेट पर मुझे भी बंदी बना लिया गया. वहीं वशिष्ठ नारायण सिंह, त्रिपुरारि शरण सिंह काे गया जेल से स्थानांतरित कर रखा गया था. आपातकाल का अंधा कानून का असर यहां भी देखने काे मिला. 80 वर्ष के बूढ़ाें काे भी खादी ग्राम उद्याेग भवन से गिरफ्तार कर जेल ले लाया गया. अनिल विभाकर व ज्ञानचंद जैन काे बेरहमी से गया बस स्टैंड में पिटाई की गयी आैर उन्हें भी बंदी बना लिया गया. नीमचक बथानी के 17 लाेगाें काे मीसा के तहत बंदी बना लिया गया. डाल्टेनगंज से एक महीने बाद गया केंद्रीय कारा लाया गया. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट से जमानत पर छूटे, फिर दूसरी बार गया रेलवे स्टेशन के पास नाै अगस्त 1975 में शहीदाें पर माल्यार्पण करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. आठ महीने तक गया केंद्रीय कारा में बंदी रहे.
दाेनाें बार मिला कर कुल नाै महीने जेल में रहे. जेल में राजनीतिक बंदियाें की संख्या काफी थी, इसलिए कम प्रताड़ित किया जाता था. यहीं पर नाथू राम गाेडसे के परिजन आेबेराय व बसंत नारायण सिंह सहित जमायते इसलामिक व आनंद मार्ग के नेताआें काे भी रखा गया था. आर्यावर्त के संपादक के बेटे की हत्या के आराेप में एक काे आपातकाल के बाद भी फांसी दे दी गयी थी, जिसका विराेध राजनीतिक बंदियाें ने किया था.
भ्रष्टाचार व बेरोजगारी भयावह : भ्रष्टाचार व बेराेजगारी तब की तुलना में काफी बढ़ गयी है. बेराेजगारी हर साल बढ़ रही है. महंगाई में बेतहाशा इजाफा हुआ है. कुल मिला कर देश के राजनीतिक हालात आपातकाल से भी बदतर हुए हैं. आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक हर स्तर पर काफी गिरावट आयी है. आरक्षण ने ताे देश काे आैर भी पीछे धकेल दिया है.
आरक्षण हाे पर इसका पैमाना जातीय नहीं, बल्कि आर्थिक हाे, तब कुछ स्थिति सुधर सकती है. पर राजनीतिक लिट्टी सेंकने के लिए आज के राजनेता आनन-फानन में कुछ भी निर्णय लेने काे तैयार हैं. ऐसे में एक बार फिर उससे बड़े आंदाेलन की जरूरत है, तभी बदलाव संभव है. फिलहाल कुशल नेतृत्वकर्ता व नेतृत्व का अभाव है. अभी के राजनीतिक दलाें के नेताआें में काेई दम नहीं, जाे इसे दूर कर सके.
42 साल के बाद आज देश की स्थिति और भी खराब
श में इमरजेंसी के दौर में प्रत्येक नागरिक सरकारी भ्रष्टाचार व गलत नीतियों के खिलाफ खड़ा था. सभी के मन में यह बात थी कि सिस्टम गलत तरीके से चल रहा है, इसका विरोध करना होगा़ इसे बदलना भी होगा. लेकिन, अफसोस यह है कि आज 42 साल बाद देश के हालात उससे भी खराब हो चुके हैं. 1974 से 1977 तक जिन लोगों ने इस उम्मीद के साथ आंदोलन किया कि तसवीर बदलेगी, वह आज के हालात देख कर परेशान हैं.
सिस्टम पहले से ज्यादा भ्रष्ट हो चुका है.इस सिस्टम ने देश के हर नागरिक को भ्रष्ट बना दिया है. मुझे यह कहने में कोई शर्म नहीं है कि मैं खुद किसी न किसी स्तर पर भ्रष्ट हो गया हूं. आपको होना ही होगा, नहीं होंगे तो आप सिस्टम में नहीं रह पायेंगे और सिस्टम के बाहर रहने का कोई विकल्प इस देश में नहीं है. देश में भ्रष्टाचार 100% बढ़ गया है.
इसे खत्म करना किसी भी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है. जाति पर आधारित राजनीति ने कई अयोग्य लोगों को नेतृत्वकर्ता बना दिया है. यह पतन की ही, तो निशानी है. इस व्यवस्था को बदलने के लिए एक संघर्ष जरूरी है. मैं इस उम्मीद में हूं कि आने वाले समय में एक और आंदोलन इस कुव्यवस्था के खिलाफ होगा. तसवीर जरूर बदलेगी.
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