यहां एकेडमिक सहित प्रोफेशनल डिग्रियां लेने वालों की भीड़ लगी है. उच्च शैक्षणिक डिग्रियां हासिल करने वाले हजारों छात्रों द्वारा हर वर्ष लाखों रूपये खर्च भी किया जाता है. लेकिन, दूरस्थ शिक्षा के लिए राज्य सरकार का अपना शिक्षण संस्थान नहीं रहने के कारण डिग्रियां हासिल करने के नाम पर विद्यार्थियों का लाखों रूपये हर वर्ष दूसरे प्रांत में चला जाता है. एक अनुमान के मुताबिक झारखंड निर्माण के 17 वर्षों में लाखों लोग दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च डिग्र्रियां हासिल कर चुके हैं. लेकिन, दूरस्थ शिक्षा का विश्वविद्यालय झारखंड में अबतक नहीं खुला है. दूरस्थ शिक्षा, शिक्षा की वह प्रणाली है जिसमें शिक्षक तथा शिक्षु को स्थान-विशेष अथवा समय-विशेष पर मौजूद होने की आवश्यकता नहीं होती है.
यह प्रणाली, सतत शिक्षा, सेवारत कार्मिकों के क्षमता-उन्नयन तथा शैक्षिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले शिक्षुओं के लिए गुणवत्ता मूलक तर्कसंगत शिक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. सरकार की अदूरदर्शिता के कारण उच्च डिग्रियां हासिल करने के नाम पर अबतक करोड़ों रूपये अन्य प्रांतों में चला गया है.