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दूसरे राज्यों के भरोसे झारखंड के बच्चों की दूरस्थ शिक्षा

देवघर: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र विलंब होने व निजी कारणों से नियमित कक्षाएं अटेंड नहीं करने वाले संताल परगना के 30 हजार से ज्यादा विद्यार्थी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च योग्यता की डिग्रियां हासिल कर रहे हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय दिल्ली, नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी पटना, डॉ जाकिर हुसैन संस्थान […]

देवघर: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र विलंब होने व निजी कारणों से नियमित कक्षाएं अटेंड नहीं करने वाले संताल परगना के 30 हजार से ज्यादा विद्यार्थी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च योग्यता की डिग्रियां हासिल कर रहे हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय दिल्ली, नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी पटना, डॉ जाकिर हुसैन संस्थान पटना, इलम यूनिवर्सिटी जैसी दर्जनों शिक्षण संस्थाएं संताल परगना प्रमंडल में संचालित हो रहा है.

यहां एकेडमिक सहित प्रोफेशनल डिग्रियां लेने वालों की भीड़ लगी है. उच्च शैक्षणिक डिग्रियां हासिल करने वाले हजारों छात्रों द्वारा हर वर्ष लाखों रूपये खर्च भी किया जाता है. लेकिन, दूरस्थ शिक्षा के लिए राज्य सरकार का अपना शिक्षण संस्थान नहीं रहने के कारण डिग्रियां हासिल करने के नाम पर विद्यार्थियों का लाखों रूपये हर वर्ष दूसरे प्रांत में चला जाता है. एक अनुमान के मुताबिक झारखंड निर्माण के 17 वर्षों में लाखों लोग दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च डिग्र्रियां हासिल कर चुके हैं. लेकिन, दूरस्थ शिक्षा का विश्वविद्यालय झारखंड में अबतक नहीं खुला है. दूरस्थ शिक्षा, शिक्षा की वह प्रणाली है जिसमें शिक्षक तथा शिक्षु को स्थान-विशेष अथवा समय-विशेष पर मौजूद होने की आवश्यकता नहीं होती है.

यह प्रणाली, अध्यापन तथा शिक्षण के तौर-तरीकों तथा समय-निर्धारण के साथ-साथ गुणवत्ता संबंधी अपेक्षाओं से समझौता किए बिना प्रवेश मानदंडों के संबंध में भी उदार है. भारत की मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में झारखंड को छोड़ विभिन्न प्रांतों के मुक्त विश्वविद्यालय, शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाएं तथा विश्वविद्यालय शामिल हैं. दोहरी पद्धति के परंपरागत विश्वविद्यालयों के पत्राचार पाठयक्रम संस्थान भी शामिल हैं.

यह प्रणाली, सतत शिक्षा, सेवारत कार्मिकों के क्षमता-उन्नयन तथा शैक्षिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले शिक्षुओं के लिए गुणवत्ता मूलक तर्कसंगत शिक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. सरकार की अदूरदर्शिता के कारण उच्च डिग्रियां हासिल करने के नाम पर अबतक करोड़ों रूपये अन्य प्रांतों में चला गया है.

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