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माओवादी बंदी का व्यापक असर
जिले में माओवादी बंदी का असर दिखा, लंबी दूरी की एक भी बसें नहीं चलीं, टंडवा के आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में ठप रहा कोयले का डिस्पैच. चतरा : चतरा में भाकपा माओवादी का बंद का मिलाजुला असर रहा. लंबी दूरी के एक भी वाहन नहीं चले. इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई. भीषण […]
जिले में माओवादी बंदी का असर दिखा, लंबी दूरी की एक भी बसें नहीं चलीं, टंडवा के आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में ठप रहा कोयले का डिस्पैच.
चतरा : चतरा में भाकपा माओवादी का बंद का मिलाजुला असर रहा. लंबी दूरी के एक भी वाहन नहीं चले. इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई. भीषण गरमी में लोग छोटे-छोटे बच्चो को लेकर पैदल गंतव्य स्थान की ओर जाते देखा गया.
टंडवा के आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में कोयले का डिस्पैच ठप रहा. इससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ. एनटीपीसी में भी काम बाधित रहा. नक्सल प्रभावित प्रखंड कुंदा, लावालौंग, हंटरगंज, प्रतापपुर, सिमरिया, टंडवा, गिद्धौर, पत्थलगड्डा में बंदी काफी असरदार रहा. कई स्थानों पर बैंक भी बंद रहे. कुछ बैंक खुले भी तो ग्राहक कम दिखे. माओवादियों के भय से गांवों में भी निर्माण कार्य बंद रहा. कुछ स्थानों पर छोटे वाहन चलते दिखें. यात्रियों को दोगुना किराया देकर यात्रा करनी पड़ी. पुलिस दिन भर गश्त लगाती रही. बंदी से कई साप्ताहिक हाटों में खरीद बिक्री करने व्यापारी नहीं पहुंचे.
लावालौंग, टंडवा, शीला, देल्हो, गिद्धौर में सोमवार को लगनेवाले सप्ताहिक हाट में व्यापारियों को नहीं आने से किसानों को सस्ते दरों में साग-सब्जी बेचनी पड़ी. इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ. रांची, पटना, गया, औरंगाबाद, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, गढ़वा, सिमडेगा जाने वाली एक भी बस नहीं चली. माओवादियों ने पलामू जिले के सीता चुआं जंगल में कुछ दिन पूर्व पुलिस व टीपीसी के गंठजोड़ से फरजी मुठभेड़ में जोनल कमांडर अजय यादव समेत तीन लोगों की हत्या के विरोध में माओवादियों ने चतरा, पलामू, औरंगाबाद व गया जिले में बंद बुलायी थी.
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