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घरवालों को गांव छोड़ चुके बेटों का है इंतजार
बड़कागांव : एनटीपीसी के खनन प्रोषक क्षेत्र के प्रभावित गांवों में गोलीकांड के चार दिन बाद अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है. हालांकि अब भी ग्रामीणों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी है. पुलिस कार्रवाई के बाद डाडीकलां, कनकी डाड़ी, चेपाखुर्द व सिंदवारी गांख के लोग अभी भी सहमे हुये हैं. पुलिस को देखते […]
बड़कागांव : एनटीपीसी के खनन प्रोषक क्षेत्र के प्रभावित गांवों में गोलीकांड के चार दिन बाद अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है. हालांकि अब भी ग्रामीणों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी है. पुलिस कार्रवाई के बाद डाडीकलां, कनकी डाड़ी, चेपाखुर्द व सिंदवारी गांख के लोग अभी भी सहमे हुये हैं.
पुलिस को देखते ही ग्रामीण अपने रास्ते बदल ले रहे हैं. उनमें इस बात का भय है कि कहीं पुलिस अनावश्यक उनके साथ मारपीट ने कर दे. इधर, जिन गांवों में घुस पर पुलिस ने मारपीट की थी, उन गांवों के कई युवक गांव छोड़ चुके हैं. पांच अक्तूबर की शाम कर कई युवक भय के कारण वापस गांव नहीं लौटे थे. कई घर ऐसे हैं, जिनमें सिर्फ बुजुर्ग ही बच गये हैं.
वे अपनों के लौटने के इंतजार में हैं.
घटना के चौथे दिन हालांकि पुलिस की ओर से किसी भी गांव में कार्रवाई नहीं की गयी, लेकिन उनकी मौजूदगी चौक-चौराहों और खनन स्थल पर रही. हालांकि पुलिस की गाड़ियां आती-जाती रही. क्षेत्र के जुगरा चेपाकलां व सोनबरसा के कुछ टोलों मे लोग अपने दैनिक कार्यों में लगे देखे गये, लेकिन वे गांव से बाहर नहीं निकले.
मो मेहताब के घरवालों ने लगायी मदद की गुहार: गोलीकांड में मारे गये मो मेहताब के परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय है. परिवार के लोगों का कहना था कि उनके पास अब तक न तो सरकार के कोई मंत्री आये और न ही कोई अधिकारी. परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगायी है. इधर, ग्राम कनकी डाड़ी में पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था. एक घर के बाहर सिर्फ एक वृद्ध महिला बैठी थी. गांव की स्थिति पूछे जाने पर पर भय के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी. सिर्फ उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे.
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