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VIDEO : भूल गये जवान का बलिदान, शहीद का ये कैसा सम्मान!

टंडवा : मंगलवार को 15 अगस्त है. हमारे देश की आजादी का दिन. देश भर में आजादी का जश्न मनेगा. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देश के गांव-गांव में. जिस गांव का बेटा कभी सीमा पर शहीद होता है, उस गांव में हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को अलग तरह का उत्साह […]

टंडवा : मंगलवार को 15 अगस्त है. हमारे देश की आजादी का दिन. देश भर में आजादी का जश्न मनेगा. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देश के गांव-गांव में. जिस गांव का बेटा कभी सीमा पर शहीद होता है, उस गांव में हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को अलग तरह का उत्साह और उमंग देखा जाता है. उस गांव के एक-एक शख्स में देशभक्ति का जज्बा हिलोरें मारने लगता है. उसे इस बात पर फक्र होता है कि उसके गांव ने देश को एक ऐसा लाल दिया, जो सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गया.

गांव का लाल जब देश की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी देता है, तब लोगों के मन में उसके प्रति गजब का सम्मान होता है. वे प्रशासन और सरकार से मांग करते हैं कि उसकी प्रतिमा स्थापित की जाये. गांव या शहर के चौक-चौराहे या रास्ते का नामकरण उस शहीद के नाम पर किया जाये. लेकिन, वक्त बीतने के साथ शहीद के प्रति सम्मान कम होता जाता है. यदि ऐसा नहीं होता, तो झारखंड के चतरा जिले के टंडवा प्रखंड स्थित इस शहीद स्मारक का यह हाल न होता.

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टंडवा शहीद चौक पर बनी है शहीद राजेश की प्रतिमा. सोपारम गांव के नरेश दास के पुत्र राजेश दास 2 दिसंबर, 2002 को कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे. मरने से पहले उन्होंने देश के दुश्मन तीन आतंकवादियों को मार गिराया था. किसी समाजसेवी ने उनकी एक प्रतिमा बनवा दी, लेकिन उसका रख-रखाव कोई नहीं करता. प्रशासन भी नहीं.

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छह महीने हो गये, किसी ट्रक ने प्रतिमा की स्थापना के लिए जो चबूतरा बना था, उसे धक्का मार दिया और चबूतरा क्षतिग्रस्त हो गया. बारिश में इसकी दशा और खराब हो गयी है. यदि तेज बारिश हुई, तो हो सकता है यह प्रतिमा कभी भी गिर जाये. आश्चर्य की बात है कि जिले और प्रखंडके पदाधिकारी इसी रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कभी किसी को इसकी दशा नहीं दिखी. न ही किसी समाजसेवी ने इस ओर ध्यान दिया.

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