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बोकारो के युवा लेखकों में जुड़ा नया नाम सिद्धार्थ भास्कर
बसंत मधुकर बोकारो : बोकारो के युवा देश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो रहे हैं. लेखन के क्षेत्र में भी बोकारो के कई युवाओं का नाम शुमार है. बोकारो के युवा लेखकों में एक और नया नाम जुड़ गया है सिद्धार्थ भास्कर. चीरा चास के रहने वाले सिद्धार्थ की लिखी किताब ‘बी ग्राउंड […]
बसंत मधुकर
बोकारो : बोकारो के युवा देश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो रहे हैं. लेखन के क्षेत्र में भी बोकारो के कई युवाओं का नाम शुमार है. बोकारो के युवा लेखकों में एक और नया नाम जुड़ गया है सिद्धार्थ भास्कर. चीरा चास के रहने वाले सिद्धार्थ की लिखी किताब ‘बी ग्राउंड वेस्ट’ हाल-फिलहाल चर्चा में है. प्रकाशित होते ही इस किताब की एक हजार से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. भास्कर इसके पूर्व पास्ता लेन, चोकारो टोल आदि नाम से शॉर्ट स्टोरी लिख चुके हैं.
क्या है किताब की कहानी : सिद्धार्थ की किताब ‘बी ग्राउंड वेस्ट’ आइआइटी खड़गपुर में पढ़ाई कर रहे चार मित्रों की कहानी है. कहानी की शुरुआत मुंबई आतंकी हमले से होती है. इस घटना में एक दोस्त शिकार हो जाता है और उसके दिमाग पर घटना का गहरा प्रभाव पड़ता है. उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाना पड़ता है. ठीक होने में तीनों दोस्त उसकी मदद करते हैं. इस दौरान हर सेमेस्टर की कहानी आती है. इस किताब का संदेश है कि भूतकाल की घटनाओं से सीख लेकर किस तरह वर्तमान और भविष्य को संवारा जा सकता है.
ऐसे आया विचार
सिद्धार्थ ने बताया कि आइआइटी पर कई किताबें लिखी गयी हैं. बहुत सारी किताबें बेस्ट सेलर बनी हैं. उन किताबों में आइआइटी के बारे में कई चर्चाएं हैं, जो सत्य से परे भी रहती हैं. मेरी किताब की कहानी आइआइटी की सतही जानकारी पर आधारित नहीं है. आइआइटी में पढ़ने वाले उतने खास नहीं होते हैं, जितना विभिन्न किताबों में प्रस्तुत किया गया है. उनके जीवन में भी वही सामान्य घटनाएं घटती हैं, जो दूसरों के जीवन में होती है. उन किताबों को पढ़ने के बाद ही आइआइटी आधारित किताब लिखने का विचार आया. सिद्धार्थ मूलत: दरभंगा के उजान गांव के रहने वाले हैं. पले-बढ़े बोकारो में ही हैं.
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