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स्वर्णिम मिथिला महोत्सव: जहिया सं गेलखिन सजना नींद उड़ि गेल…
बोकारो: दरभंगा से पहुंची नटराज डांस एकेडमी की टीम ने मिथिला के पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति की. प्रतिष्ठित गायक श्रीसाहित्य व संगीत मल्लिक (मल्लिक बंधु), कुंज बिहारी मिश्र, पूनम मिश्र व विकास झा जैसे कलाकारों ने अपनी गायकी से समां बांध दिया. मौका था स्वर्णिम मिथिला महोत्सव का. मिथिला सांस्कृतिक परिषद बोकारो की स्वर्ण जयंती […]
बोकारो: दरभंगा से पहुंची नटराज डांस एकेडमी की टीम ने मिथिला के पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति की. प्रतिष्ठित गायक श्रीसाहित्य व संगीत मल्लिक (मल्लिक बंधु), कुंज बिहारी मिश्र, पूनम मिश्र व विकास झा जैसे कलाकारों ने अपनी गायकी से समां बांध दिया. मौका था स्वर्णिम मिथिला महोत्सव का. मिथिला सांस्कृतिक परिषद बोकारो की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में शुक्रवार शाम बोकारो क्लब में तीन दिवसीय महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ. गीत-संगीत-नृत्य पर मैथिल देर रात तक झूमते रहे. कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया.
जहिया मोन पड़तौ भैये के दुलार बाबू रे… : विकास झा ने चलू सब मिलि-जुलि जनक नगर…, ई कथा दहेजक बंद करू़…, पूनम मिश्र ने परम पूज्य पावन मिथिला़.., जहिया मोन पड़तौ भैये के दुलार बाबू रे, तहिया काटऽ दउड़तौ अंगना-द्वार बाबू रे… जहिया सं गेलखिन सजना नींद उड़ी गेल… आदि गीतों ने दर्शकों का दिल जीत लिया. श्रीसाहित्य व संगीत मल्लिक (मल्लिक बंधु) ने राग आभोगी कान्हड़ा में कहरवा ताल निबद्ध गोसाउनिक गीत जय-जय भैरवि असुर भयाउनि… व विद्यापति-रचित कृष्ण भजन नंदक नंदन कदंबक तरु तर… जैसे गीतों से वातावरण में भक्तिरस घोल दिया.
वैदिक मंत्रोच्चार, मंगलाचरण, स्वस्ति-वाचन : मल्लिक बंधु के साथ तबले पर संतोष कुमार मल्लिक ने कुशल संगत की. इसी प्रकार कुंजबिहारी मिश्र ने भी एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत कर सबको झूमने पर विवश कर दिया. अन्य कलाकारों के साथ तबले पर राकेश, की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) पर महेश कुमार, आक्टापैड पर मनोज कुमार व बैंजो पर सन्नी ने अच्छी संगत की. कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण संचालन जाने-माने उद्घोषक कमलाकांत झा ने किया. इसके पूर्व वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंगलाचरण व स्वस्ति-वाचन के बाद अतिथियों द्वारा दीप-प्रज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
परंपरानुसार अतिथि का सम्मान पाग-डोपटा से : मुख्य अतिथि बीएसएल सीइओ पवन कुमार सिंह के अलावा अन्य मंचस्थ अतिथियों को पाग-डोपटा पहनाकर मिथिला परंपरानुसार सम्मानित किया गया. उद्घाटन सत्र के बाद दूसरे सत्र में कवि-सम्मेलन हुआ, जिसमें मैथिली के प्रख्यात कवि जनकजी, श्याम दरिहरे, हरितजी, प्रवीणजी, सरसजी, मंजर सुलेमान, बुचरू पासवान, कुमार मनीष अरविंद, बुद्धिनाथ झा, दयाकांत झा, विजय शंकर मल्लिक आदि ने विभिन्न विषयों पर अपनी काव्य-रचनाओं से श्रोताओं की भरपूर सराहना पायी. संस्था के पुराने व संस्थापक पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया गया.
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