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चीरा चास : गांव से शहर बना, पर नहीं बदली सूरत

बोकारो: चीरा चास की पहचान एक दशक पहले महज एक गांव की थी. इसके अगल-बगल भलसुंधा, गंधाजोर सहित कई गांव हैं, जो अब शहर में बदलने लगे हैं. चीरा चास तो शहर का आकार ले चुका है. यहां दर्जनों बड़े-बड़े अपार्टमेंट बन चुके हैं. दर्जनों निर्माणाधीन हैं. सैकड़ों आवासीय भवन व मार्केट बन चुके हैं, […]

बोकारो: चीरा चास की पहचान एक दशक पहले महज एक गांव की थी. इसके अगल-बगल भलसुंधा, गंधाजोर सहित कई गांव हैं, जो अब शहर में बदलने लगे हैं. चीरा चास तो शहर का आकार ले चुका है. यहां दर्जनों बड़े-बड़े अपार्टमेंट बन चुके हैं. दर्जनों निर्माणाधीन हैं. सैकड़ों आवासीय भवन व मार्केट बन चुके हैं, पर इसकी दशा नहीं बदली.

यहां नाली, पानी, बिजली, गंदगी सहित कई समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं. चीरा चास जाने वाली मुख्य सड़क भी जर्जर हो चुकी है. सड़क में गड्ढे बन गये हैं. सड़क में बने गड्ढे दुर्घटना को आमंत्रित करते हैं. बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. चीरा चास वार्ड-2 के निवासी नगर निगम से सुविधा दिलाने की गुहार तो लगाते हैं, पर उनकी कोई नहीं सुनता.

अस्पताल, स्कूल व आंगनबाड़ी को परेशानी : स्थानीय लोग धर्मेंद्र, भूषण सिंह, संजीव सिंह ने बताया : चीराचास में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे व कर्मी परेशान हैं. ये तीनों एक ही जगह हैं. यहां पानी के लिए चापाकल व डीप बोरिंग एक ही जगह हैं, लेकिन सब नाम भर के. डीप बोरिंग एक साल से खराब पड़ा है. डीप बोरिंग के कारण चापाकल बेकार हो गये. आंगनबाड़ी व सरकारी स्कूल में सैकड़ों बच्चे हैं, लेकिन पानी के नाम यहां सिर्फ एक काम चलाऊ चापाकल है. इसमें काफी मेहनत के बाद पानी निकलता है. स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी भी पानी के लिए तरसते रहते हैं.

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