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गड़बड़ी: सरकार के आदेश की निगम कर रहा नाफरमानी, प्रभारी कर रहे सहायक अभियंता का कामकाज

गया: राज्य सरकार के आदेश की नाफरमानी व नगर निगम के नियमों की अनदेखी का एक दिलचस्प मामला सामने आया है. राज्य के नगर विकास विभाग द्वारा प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता की जगह नगर निगम प्रभारी सहायक अभियंता से काम ले रहा है व सहायक अभियंता से कहा गया है कि जरूरत पड़ेगी, तो उनकी सेवा […]

गया: राज्य सरकार के आदेश की नाफरमानी व नगर निगम के नियमों की अनदेखी का एक दिलचस्प मामला सामने आया है.
राज्य के नगर विकास विभाग द्वारा प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता की जगह नगर निगम प्रभारी सहायक अभियंता से काम ले रहा है व सहायक अभियंता से कहा गया है कि जरूरत पड़ेगी, तो उनकी सेवा ली जायेगी. नगर निगम के सूत्रों ने बताया कि नगर विकास विभाग ने 20 अगस्त 2015 को सहायक अभियंता के तौर पर हरिनाथ बैठा की प्रतिनियुक्ति गया नगर निगम में की थी, लेकिन हरिनाथ बैठा को प्रभार नहीं सौंपा गया. निगम में प्रभारी सहायक अभियंता ही सहायक अभियंता का काम कर रहे हैं.

श्री बैठा ने निगम से कहा था कि उन्हें सहायक अभियंता का दायित्व दिया जाय, तो नगर आयुक्त विजय कुमार ने बैठा को पत्र लिख कर कहा कि नगर निगम में प्रभारी सहायक अभियंता काम कर रहे हैं, इसलिए तत्काल उनकी सेवा की जरूरत नहीं है. जरूरत पड़ने पर योगदान की स्वीकृति पर विचार किया जायेगा. विधि विशेषज्ञों का कहना है कि यह सीधे तौर पर निगम के नियमों का उल्लंघन है.

चहेतेे होने के कारण प्रभारी से लिया जा रहा काम!: नगर निगम के सूत्रों की मानें, तो नगर आयुक्त का विश्वासपात्र होने के कारण नियमों को ताक पर प्रभारी से सहायक अभियंता का काम लिया जा रहा है व नगर निगम नियमों की अनदेखी करते हुए निगम के कागजात में प्रभारी सहायक अभियंता को सहायक अभियंता बताया जा रहा है. प्रभारी सहायक अभियंता शैलेंद्र कुमार को राजस्व शाखा, सफाई स्वास्थ्य शाखा व अब स्वच्छ भारत मिशन योजना का प्रभारी भी बना दिया गया है. बोर्ड की बैठक कई बार इस पर सवाल उठाये जा चुके हैं.
काम सहायक अभियंता का, तनख्वाह प्रभारी की
नगर निगम की कारगुजारी का खामियाजा प्रभारी सहायक अभियंता भुगत रहे हैं. वे काम तो कर रहे हैं सहायक अभियंता का, लेकिन उन्हें प्रभारी सहायक अभियंता की तनख्वाह मिल रही है. निगम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नगर विकास विभाग द्वारा उक्त अधिकारी को प्रोन्नत नहीं किया गया है. ऐसे में सहायक अभियंता वाली तनख्वाह दिये जाने का सवाल ही नहीं उठता है. अगर ऐसा होता है, तो सीधे तौर पर नगर निगम सवालों के घेरे में आ जायेगा.
निगम ने जहां कर दी गलती
पांच नवंबर 2007 को हुई बोर्ड की बैठक में कनीय अभियंता को प्रोन्नत करने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके लिए नगर आयुक्त को बोर्ड ने नियम, वरीयता व आरक्षण नियमावली पालन करते हुए प्रोन्नत करने के लिए अधिकृत किया था. निगम के नियमों के जानकार बताते हैं कि प्रोन्नति के वक्त वरीयता व आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया. जिन्हें प्रोन्नत किया जाना था, उन्हें उन्हीं पदों पर छोड़ दिया गया व कनीय अभियंता को निगम ने प्रोन्नत कर दिया. प्रोन्नति के बाद सरकार से अनुमोदन के लिए फाइल भेजी गयी, लेकिन कई तरह के जरूरी दस्तावेज फाइल के साथ संलग्न नहीं किये जाने के कारण फाइल धूल फांक रही है.
सीनियर अफसर देंगे जूनियर को रिपोर्ट !
नगर नियुक्त द्वारा 12 दिन पहले एक आदेश जारी किया गया था, जिसे गहराई से पढ़ा जाय, तो पता चलता है कि जूनियर अफसरों को सीनियर से ऊपर कर दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि नगर आयुक्त द्वारा 11 फरवरी को एक आदेश जारी किया गया था. इसमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत 16 वार्डों को खुले में शौचालयमुक्त घोषित करने के लिए दो टीमों का गठन किया गया है. दोनों टीमों का प्रभारी निगम में तैनात सिटी मैनेजर राजमणि गुप्ता व सुरेंद्र राम को बनाया गया है. इसमें अन्य महिला समूह के सदस्यों को शामिल किया गया है. आदेश में कहा गया है कि दोनों सिटी मैनेजर अपनी रिपोर्ट प्रभारी सहायक अभियंता शैलेंद्र कुमार के पास जमा करेंगे. यहां यह बताना जरूरी है कि सिटी मैनेजर का पद प्रभारी सहायक अभियंता से ऊंचा होता है अत: बड़े अफसर द्वारा छोटे अफसर को रिपोर्ट देना नियम के खिलाफ है. इस अजीबोगरीब आदेश के कारण खुले में शौचमुक्त योजना के क्रियान्वयन में खींचतान शुरू हो गयी है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि निगम में इस तरह की बात अब आम हो गयी है. निलेश देवरे के समय तक सब कुछ नियम के अनुसार चल रहा था, लेकिन अब तो रोज एक नया नियम बनता व टूटता है.
राज्य सरकार से लेनी चाहिए स्वीकृति
प्रोन्नति के बाद विभागीय स्वीकृति लेना आवश्यक होता है. मेरे कार्यकाल में किसी इंजीनियर को प्रोन्नत नहीं किया गया है. बिना सरकार के अनुमोदन के उनके प्रोन्नत पद के अधिकार के मुताबिक काम लिया जाना गैरकानूनी है. मेरे संज्ञान में इस तरह की कोई शिकायत नहीं आयी है.
सोनी कुमारी, मेयर

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