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कैशलेस की मुहिम को लग सकता है झटका
बोकारो:कैशलेस बोकारो के मुहिम को झटका लगता दिख रहा है. 20 दिसंबर तक जिला के बेरमो व चंद्रपुरा प्रखंड को कैशलेस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बेरमो को कैशलेस बनाने की जिम्मेवारी पंजाब नेशनल बैंक को दी गयी है, जबकि चंद्रपुरा प्रखंड के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का चयन किया गया है. […]
बोकारो:कैशलेस बोकारो के मुहिम को झटका लगता दिख रहा है. 20 दिसंबर तक जिला के बेरमो व चंद्रपुरा प्रखंड को कैशलेस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बेरमो को कैशलेस बनाने की जिम्मेवारी पंजाब नेशनल बैंक को दी गयी है, जबकि चंद्रपुरा प्रखंड के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का चयन किया गया है. दोनों बैंक अपने स्तर से बेहतर काम कर रहे हैं. लेकिन, दोनों को अपेक्षित सफलता मिलती नहीं दिख रही है. कोशिशों के बावजूद व्यवसायी इस ओर रुचि नहीं दिखा रहे हैं. बेरमो प्रखंड के व्यवसाय स्थली फुसरो में मात्र 70 व्यवसायी ने पीओएस व एम-पीओएस के लिए आवेदन किया है. जबकि पूरे बेरमो प्रखंड में यह आंकड़ा 100 के करीब है. वहीं चंद्रपुरा प्रखंड में 150 व्यवसायियों ने पीओएस के लिए आवेदन किया है.
जबकि दोनों प्रखंड में छोटे-बड़े व्यवसायी की संख्या 3000 से अधिक है. बोकारो जिला में 670 व्यवसायी ने पीओएस के लिए आवेदन किया है. आंकड़ा कहीं न कहीं लक्ष्य प्राप्ति में रूकावट की ओर इशारा कर रहा है.बैंक अधिकारियों की माने तो व्यवसायी में असमंजस की स्थिति है. दुकानदार को लगता है कि पीओएस मशीन लगाने से कई विभाग का लफड़ा बढ़ेगा. साथ ही टैक्स की बाध्यता भी. पीओएस के लिए व्यवसायी का करंट अकाउंट होना जरूरी है. ज्यादातर दुकानदार का करंट अकाउंट नहीं है. साथ ही कई दुकानदारों का फर्म रजिस्टर्ड नहीं है. ऐसी स्थिति में मशीन के लिए आवेदन नहीं दे रहे हैं.
टारगेट से कहीं दूर है वर्तमान
जिला को कैशलेस बनाने के लिए बैंकों की ओर से टारगेट तय किया गया था. हर दुकान में पीओएस मशीन उपलब्ध कराने की योजना बनी थी. एसबीआइ ने 1255 पीओएस मशीन, 8350 इ-बडी डाउनलोड, 3370 मर्चेंट बडी व 6250 ग्राहकों को नेट बैंकिंग से जोड़ने का लक्ष्य बनाया था. लेकिन अभी तक मात्र 570 लोगों ने ही इस मामले में रुचि दिखाई. पंजाब नेशनल बैंक ने 1110 पीओएस लगाने के साथ 2000 यूपीआइ मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करने टारगेट सेट किया था. लेकिन मात्र 70 लोगों ने ही आवेदन दिया.
सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी
कैशलेस की बात होते ही साइबर क्राइम की बात स्वत: हो जाती है. आये दिन गलत तरीका से एटीएम से निकासी का मामला सामने आता है. बैंक कर्मी की माने तो सावधानी में ही सुरक्षा निहित है. यहां तक की कार्ड का क्लोन बन जाने के बाद भी पासवर्ड के बिना कुछ नहीं हो सकता. समय-समय पर पासवर्ड बदलना चाहिए. पासवर्ड को किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. पीओएस में पासवर्ड डालने के पहले एकांत जरूर होना चाहिए. बैंक किसी भी हाल में ग्राहकों को एटीएम, डेबिट व क्रेडिट कार्ड के लिए फोन नहीं करता. कभी भी ऐसा फोन आने पर डिटेल शेयर नहीं करें. पुलिस व बैंक को सूचित करें.
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