बोकारो: स्थानीय न्यायालय के प्रथम अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायालय के न्यायाधीश रवि शंकर उपाध्याय की अदालत ने एक 15 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बालिका से दुष्कर्म व गर्भपात कराने के मामले में गुरुवार को एक ही परिवार के पांच सदस्यों को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी है.
सजा पाये मुजरिमों में पेटरवार थाना क्षेत्र के ग्राम चिपुदाग निवासी युवक रितेश महतो (22 वर्ष), रितेश के पिता नागेश्वर महतो, रितेश की माता देवंती देवी, गीता देवी व चाचा छेदी महतो शामिल हैं. न्यायालय में यह मामला पोक्सो कांड संख्या-17/19/14 व पेटरवार थाना कांड संख्या 101/14 के तहत चल रहा था.
क्या है मामला
घटना की प्राथमिकी पीड़ित बालिका ने पेटरवार थाना में दर्ज करायी था. उसके अनुसार वह अपने घर में अकेली थी. इसका फायदा उठा कर रितेश महतो ने उसके घर में प्रवेश कर पहली बार दुष्कर्म किया. घटना के बाद बालिका रोने लगी. उसने रितेश को कहा कि वह घटना की जानकारी अपने माता-पिता को देगी. रितेश ने बालिका को जान से मार देने की धमकी देकर चुप करा दिया. डर के कारण बालिका ने घटना की जानकारी किसी को नहीं दी. इसके बाद शादी करने का झांसा देकर रितेश लगातार सात माह तक बालिका से दुष्कर्म करता रहा. वह गर्भवती हो गयी. बालिका के गर्भवती होने के बाद रितेश ने शादी कर लेने का झांसा देकर उसे धोखा में रखा. 09 अगस्त 2014 को रितेश व उसके परिवार के अन्य सदस्य बालिका को झांसा देकर बोकारो स्थित एक नर्सिंग होम ले आये. यहां मेडिकल जांच कराने की बात कह बालिका का ऑपरेशन के माध्यम से गर्भपात करा दिया. इसके बाद बालिका ने थाना में मामला दर्ज कराया.
भादवि की इन धाराओं के तहत मिली सजा
न्यायाधीश ने इस मामले सभी साक्ष्य व गवाहों के बयान का अवलोकन करने के उपरांत रितेश समेत उसके परिवार के पांच सदस्यों को भादवि की धारा 313 (गर्भपात कराने के मामले में) में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा दी है. जुर्माना नहीं देने पर दो वर्ष साधारण कारावास होगी. भादवि की धारा 376 (2)(एन) (नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के मामले में) में रितेश महतो को 10 वर्ष कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा दी गयी है. जुर्माना नहीं देने पर दो वर्ष का साधारण कारावास होगा. भादवि की धारा 506 में सभी मुजरिमों को पांच वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गयी है. मुजरिमों को दी गयी सभी सजायें साथ-साथ चलेगी.