बोकारो/हरला. बोकारो में ऑस्ट्रेलिया से रसल वाइपर आ रहा है! जी हां, ऑस्ट्रेलियन कोक के साथ रसल वाइपर सांप ट्रेन की बोगी के माध्यम से बोकारो पहुंच रहे हैं. इससे सबसे अधिक प्रभावित है सेक्टर 9 के निकट स्थित विस्थापित गांव धनगढ़ी. गांव की लगभग दो हजार आबादी रसल वाइपर सांप से भयभीत हैं.
अभी तक रसल वाइपर सांप के काटने की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसी घटना आये दिन होती रहती है. एक युवक की जान भी चली गयी है. धनगढी गांव के बीचों-बीच रेल लाइन गुजरती है. गांव के पास ही इस्पात नगर स्टेशन है. बोकारो स्टील प्लांट के लिए ऑस्ट्रेलिया से उच्च क्वालिटी का कोक ‘ऑस्ट्रेलियन कोक’ आता है. ट्रेन की बोगियां इस्पात नगर स्टेशन सहित गांव के बीचों-बीच गुजरने वाली रेल लाइन पर घंटों खड़ी रहती हैं. इस बीच ‘रसल वाइपर’ इन बोगियों से नीचे उतर जाता है.
विस्थापित गांव धनगढ़ी की दो हजार आबादी खौफ
केस स्टडी-1
15 मार्च 2016. धनगढ़ी के इसराइल अंसारी के पुत्र मो गुलाम मुस्तफा (18 वर्ष) को रसल वाइपर ने कब्रिस्तान के निकट काट लिया. परिजनों उसका इलाज बीजीएच से लेकर बंगाल के एक बड़े अस्पताल तक करवाया. चिकित्सकों के सलाह पर 40 यूनिट खून भी दिया गया. इसके बाद भी उसे नहीं बचाया जा सका.
केस स्टडी-2
19 मई 2016. मो. नौशाद के 28 वर्षीय पुत्र मो साजीद को उसके आवास में ही रसल वाइपर सांप ने अपना शिकार बनाया. परिजन साजीद को तुरंत बीजीएच ले गये. चिकित्सकों ने रांची के अपोलो ले जाने की सलाह दी. एक सप्ताह इलाज के बाद उसे बचाया जा सका. लेकिन, आज भी वह पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है.
केस स्टडी-3
03 जून 2016. मो मुस्तफा की 12 वर्षी पुत्री नूरजहां शौच के लिए घर से बाहर गयी थी. वहीं रसल ने सामने से हमला बोल दिया. परंतु, नूरजहां सतर्क हो गयी और चिखती-चिल्लाती अपने घर वापस भागी. इस घटना के बाद से नूरजहां सहित उसके परिवार खौफ में है. पड़ोसी भी अंधेरा होने के बाद घर से बाहर नहीं निकलते हैं.
केस स्टडी-4
अभी हाल ही सेक्टर नौ स्ट्रीट 11 के आवास संख्या 04 के बगान में आवास मालिक विकास कुमार पर रसल वाइपर ने हमला किया, लेकिन वह अपनी सुझबूझ से बाल-बाल बचे. दोस्त व पड़ोसी की मदद से उसे भगाया. इसी तरह, सेक्टर आठ डी के एक आवास में भी कुछ दिनों पूर्व रसल को देखा गया. इससे सेक्टर वासी भी भयभीत हैं.
आस-पास के गांव व सेक्टरों में दिखने लगा है रसेल
धनगढ़ी के ग्रामीण रसल वाइपर को लेकर खौफ में हैं. शाम ढलते ही लोग अपने घरो में चले जाते हैं. अब रसल वाइपर धनगढ़ी से सटे तुपकाडीह से शिबूटांड़ व सेक्टर नौ और सेक्टर आठ में भी दिखने लगे हैं. धनगढ़ी के ग्रामीणों कहना है : रसल वाइपर के कारण घर से खेत या शौच के लिए जाना खतरे से खाली नहीं. गांव के चारों तरफ रसल सांप फैल गये हैं. उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय धनगढ़ी के शिक्षक सह धनगढ़ी निवासी जफर इमाम ने बताया : ऑस्ट्रेलियन कोक के साथ ही वाइपर यहां पहुंचे हैं.
शाम होते-होते सभी घर चले आते हैं लोग
गांव के व्यापारी मो शफी आलम ने बताया : रसल वाइपर का इस कदर डर है कि शाम होते-होते सभी शहर से घर चले आते हैं. इसका व्यापार पर असर पड़ता है. मो साजिद के पिता ने बताया कि रसल वाइपर ने मौत बन कर इस गांव को अपने शिकंजे में ले लिया है. देहात में सभी घरों में शौचालय नहीं होने के कारण अक्सर खेत-खलिहान में जाना पड़ता है, जहां सांप का भय हमेशा बना रहता है.
अपोलो-रांची के चिकित्सक ने दी जानकारी : आफताब आलम ने बताया कि पहले जब सांप को गांव में देखा गया था, तो इतना विषैला होने का अनुभव किसी को नहीं था. परंतु, अपोलो के चिकित्सकों ने सांप को मंगवाया तो बताया कि यह विश्व का दूसरा व एशिया का सबसे अधिक विषैला सांप है. यह सांप एक बार में यह 40 बच्चे को जन्म देता है.
खून को थक्कों में बदल देता है रसल का विष : भारत में सांपों की 216 प्रजातियों में से मात्र 53 विषैली हैं. इनमें से 4 प्रजातियाें का विष आदमी के लिए जानलेवा है. इसमें नाग (कोबरा), करैत (क्रेट), घोणस (रसल वाइपर) व अफई (सौ स्केल वाइपर) हैं. रसल वाइपर बहुत विषैला सांप है. इसका विष रक्त को जमा देता है. यह सांप सीधे बच्चे देती है, वह भी एक बार में 30 से 40 तक. ‘रसेल’ नाम इसपर वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले रसेल के नाम पर पड़ा है. वैसे तो यह शर्मीला है, मगर छेड़े जाने पर काटता है.