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मौलिक सुविधा से वंचित बिरहोर जोह रहे सरकारी तंत्र की बाट
बोकारो: बदन जलाने वाली धूप में महुआ सुखाती महिलाएं…, जंगल से लकड़ी काट कर लौटते पुरुष, बकरी चराते बच्चे…, घर में रस्सी बनाती वृद्ध महिला… बात हो रही है गोमिया प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर स्थित डुमरी बिरहोर टंडा बस्ती की. दुनिया भले ही 21वीं शताब्दी में जी रही हो, लेकिन यहां की स्थित […]
बोकारो: बदन जलाने वाली धूप में महुआ सुखाती महिलाएं…, जंगल से लकड़ी काट कर लौटते पुरुष, बकरी चराते बच्चे…, घर में रस्सी बनाती वृद्ध महिला… बात हो रही है गोमिया प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी दूर स्थित डुमरी बिरहोर टंडा बस्ती की. दुनिया भले ही 21वीं शताब्दी में जी रही हो, लेकिन यहां की स्थित अब भी काफी खराब है. आधुनिक सुविधा तो दूर की बात गांव में बुनियादी सुविधा सपनों में ही समाहित है. लोग मौलिक सुविधा के लिए सरकारी तंत्र की बाट जोह रहे हैं.
घरों से टपक रहा है पानी : 2002 में जिला प्रशासन के निर्देश पर गोमिया प्रखंड कार्यालय के कल्याण विभाग से डुमरी बिरहोर टंडा के 26 बिरहोर परिवारों को आवास बनाकर दिया गया था. इसमें चदरा या शीट डाला गया था. वर्तमान में सारे आवासों का चदरा सड़ गया. बरसात के दिन में पानी टपकना, तो आम बात है, किसी-किसी घर में यह चादर सूर्य की रोशनी भी नहीं रोक पाती. बरसात में लोग रात भर जागरण कर समान को सुरक्षित करने की जद्दोजहद करते हैं. हांलांकि कुछ बिरहोर परिवार अपने-अपने घर में प्लास्टिक डाल चुके हैं.
झरने का पानी पीकर प्यास बुझाते है बिरहोर : प्रकृति के बीच रहने वाले इन बिरहोर को प्राकृतिक संसाधन के लिए ही जूझना पड़ता है. एक गिलास पानी के लिए लोगों को दो किमी तक का सफर करना पड़ता है. सरकार की ओर से एक भी चापाकल व कूप का निर्माण नहीं किया गया है. पानी का संकट इस कदर है कि लोग इसके लिए हर दिन पानी-पानी होते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिरहोर परिवार चरकपनिया नाला जाकर झरना का पानी पीते हैं. सरकारी आंकड़ों में भी पीने वाले पानी के साधन के लिए झरना का ही जिक्र है.
आधा किमी के सफर के लिए चढ़ना पड़ता है पहाड़ : प्रधानमंत्री भले ही गांव-गांव सड़क व बिजली का जाल बिछाने का दावा कर रहे हों, लेकिन यह गांव सरकारी योजना को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहा है. आदिम जनजाति का गांव होने के बावजूद भी यहां कोई सुविधा नहीं है. सड़क निर्माण नहीं होने के कारण लोगों को हर दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है. डुमरी बिहार रेलवे स्टेशन से बिरहोर टंडा गांव की दूरी आधा किमी होने के बाद भी लोगों के लिए यह सफर मुश्किल भरा है. आधा किमी का रास्ता तय करने के लिए लोगों को पहाड़ से गुजरना पड़ता है.
बोकारो जिला के बिरहोरों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए बिरहोर विकास समिति गठित करने की कवायद चल रही है. कुछ जिलों में इस प्रकार की समिति का गठन हुआ है, जो अच्छा काम कर रही है. आने वाले कुछ समय में यहां भी समिति गठित कर ली जायेगी.
राय महिमापत रे , डीसी, बोकारो
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