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कुड़माली संस्कृति विज्ञान पर आधारित

तलगड़िया : कुड़मालि भाषा संस्कृति देश की आदि संस्कृति है. यह प्रकृति धर्म सारि-सारना पर आधारित है. इसमें समस्त जड़-चेतन का कल्याण निहित है. यह बात डॉ बीएन महतो ने कही. वह रविवार को दुर्गापुर में आयोजित कुड़मालि भाखि चारि जड़ुआहि को संबोधित कर रहे थे. कहा : आदि कुड़मालि संस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक संस्कृति है […]

तलगड़िया : कुड़मालि भाषा संस्कृति देश की आदि संस्कृति है. यह प्रकृति धर्म सारि-सारना पर आधारित है. इसमें समस्त जड़-चेतन का कल्याण निहित है. यह बात डॉ बीएन महतो ने कही. वह रविवार को दुर्गापुर में आयोजित कुड़मालि भाखि चारि जड़ुआहि को संबोधित कर रहे थे. कहा : आदि कुड़मालि संस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक संस्कृति है जिसमें पुनर्जन्म, स्वर्ग-नरक एवं मोक्ष संबंधी अवैज्ञानिक धारणाओं का सर्वथा अभाव है. कार्यक्रम से समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर सामाजिक विकास करने का आह्वान किया गया.

प्रचार को निकला मशाल जुलूस : मौके पर कुड़मालि छात्राओं ने झांकी प्रस्तुत की. इससे पहले भाखि व चारि के प्रचार के लिए ‘लया’ पाहन पुजारी के साथ मशाल जुलूस निकाला गया. कार्यक्रम का आयोजन कुड़मालि भाखि चारि आखड़ा दुर्गापुर की ओर से किया गया. भाखि विदेश ज्योति लाल महतो, तरिन बानुहड़ संतोष केटिआर, सुधीर महतो, महादेव डुंगरिआर, अनिल पुनरिआर, निपेन महतो, गनपत महतो, सुसारि महतो, शिवानी महतो, ओमप्रकाश बंसरिआर आदि ने संबोधित किया. विभिन्न जिलों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.

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