10 की जगह 50 किमी दूर मिलता है न्याय
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विडंबना. दुगदा, चंद्रपुरा, जरीडीह और नावाडीह प्रखंड की जनता है परेशान
10 की जगह 50 किमी दूर मिलता है न्याय बोकारो जिले की 25 लाख की आबादी को न्याय दिलाने के लिए दो सिविल कोर्ट है. एक जिला न्यायालय बोकारो में और दूसरा बेरमो अनुमंडल के तेनुघाट में. दोनों न्यायालय के क्षेत्राधिकार का कुछ इस तरह से बंटवारा किया गया है कि आम लोगों को न्याय […]
बोकारो जिले की 25 लाख की आबादी को न्याय दिलाने के लिए दो सिविल कोर्ट है. एक जिला न्यायालय बोकारो में और दूसरा बेरमो अनुमंडल के तेनुघाट में. दोनों न्यायालय के क्षेत्राधिकार का कुछ इस तरह से बंटवारा किया गया है कि आम लोगों को न्याय पाने के लिये 50-50 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है.
बोकारो : तेनुघाट न्यायालय से जुड़े दुगदा, चंद्रपुरा व जरीडीह थाना क्षेत्र के लोगों को लगभग 50 किमी अधिक दूरी तय कर तेनुघाट जाना पड़ता है. जबकि इन क्षेत्र से बोकारो जिला न्यायालय व मुख्यालय की दूरी मात्र आठ से दस किमी है. इससे आम लोगों को अपना कार्य करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
पुलिस को भी दुगदा, चंद्रपुरा व जरीडीह जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में जान जोखिम में डाल कर काफी दूरी तय कर अभियुक्तों को जेल भेजने व अन्य न्यायिक कार्य के लिए तेनुघाट न्यायालय जाना पड़ता है.
न्यायालय के आदेश के बावजूद आज तक नहीं हो सका समाधान
उच्च न्यायालय के आदेश का भी पालन नहीं
आदिवासी विस्थापित जन कल्याण केंद्र के सचिव रीतवरण सोरेन ने वर्ष 2007 में असुविधाजनक क्षेत्राधिकार के मामले में जनहित याचिका हाइ कोर्ट में दायर की थी. इ सपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि असुविधा जनक क्षेत्राधिकार के मामले में जल्द जांच कर इसका समाधान करें. आज तक उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का पालन सरकार ने नहीं किया. इसका खामियाजा जनता व ग्रामीण व पुलिस को उठाना पड़ रहा है.
सरकार की पॉलिसी है कि सबको सुलभ व सस्ता न्याय मिले. दुगदा, चंद्रपुरा, जरीडीह व नावाडीह थाना क्षेत्र की जनता को सुलभ व सस्ता न्याय दिलाने के लिए इन क्षेत्र को जिला मुख्यालय से जोड़ना जरूरी है. असुविधाजनक क्षेत्राधिकार के कारण वर्षों से जनता का पैसा व समय बरबाद हो रहा है.
आरके राय, अधिवक्ता सह विशेष लोक अभियोजक, बोकारो
अविभाजित बिहार के समय से ही उक्त क्षेत्र को बोकारो में जोड़ने की मांग हो रही है. हाइ कोर्ट ने भी जिला प्रशासन को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. सरकार की गलत नीति के कारण जनता को 10-15 किमी के जगह 70-80 किमी दूरी तय करनी पड़ रही है. जनता के साथ, अधिवक्ता, जज, अधिकारी व पुलिस सभी परेशान हो रहे हैं.
ठाकुर कालिका नंद सिंह, अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन
दुगदा, चंद्रपुरा, जरीडीह थाना क्षेत्र को बोकारो मुख्यालय से जोड़ने के लिए जिला बार एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर की थी. अभी उक्त क्षेत्र की जनता दो से ढाई घंटे की दूरी तय कर तेनुघाट जाती है. जबकि बोकारो आने में 15-20 मिनट लगेगा.
पीसी अग्रवाल, अधिवक्ता सह पूर्व लोक अभियोजक बोकारो
मुख्यमंत्री रघुवर दास के बोकारो प्रवास के दौरान इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स ने एक स्मार पत्र सौंपा है. इसमें बताया गया है कि क्षेत्राधिकार में व्याप्त असुविधाजनक स्थिति से आम जनता को काफी परेशानी हो रही है. मुख्यमंत्री से पुनर्गठन कर बोकारो कोर्ट के क्षेत्राधिकार में उक्त थाना को जोड़ने की मांग की गयी है.
रंजीत गिरि, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, इंडियन एसो. ऑफ लॉयर्स
चास में दो व बेरमो अनुमंडल में छह प्रखंड
सरकार ने आबादी के लिहाज से बोकारो जिला को दो अनुमंडल (चास व बेरमो) क्षेत्र में बांटा है. चास अनुमंडल के अधीन दो प्रखंड (चास व चंदनकियारी) है. जबकि बेरमो अनुमंडल के अंतर्गत छह प्रखंड (कसमार, जरीडीह, पेटरवार, गोमिया, नावाडीह व बेरमो) है़ जिला मुख्यालय बोकारो में है, जो चास अनुमंडल के अंतर्गत है. बेरमो अनुमंडल का मुख्यालय तेनुघाट में है़
जरीडीह से 10 किमी दूर है जिला मुख्यालय
बेरमो अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले जरीडीह थाना का क्षेत्र टांड़ बालीडीह से प्रारंभ होता है. यह बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र से सटा गांव है और जिला मुख्यालय से मात्र आठ से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है़ जरीडीह थाना क्षेत्र, जो बेरमो अनुमंडल में पड़ता है. इस थाना क्षेत्र के लोगों को न्याय पाने व अन्य कार्य के लिए तेनुघाट जाना पड़ता है. तेनुघाट की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है, जबकि बोकारो मुख्यालय की दूरी मात्र आठ से दस किलोमीटर है.
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